चरित्र सुधरने से ही मिटेगा भ्रष्टाचार
लंबे समय से भ्रष्टाचार को जानने-समझने की जिज्ञासा थी. कोशिश करने पर पता चला कि इसकी जननी कोई और नहीं, बल्कि सरकार ही है. वैसे तो भ्रष्टाचार के कई रूप होते हैं, लेकिन मैंने अनुभव किया है कि यदि मनुष्य अपना चरित्र ठीक रखे, तो दुनिया से भ्रष्टाचार का नामो-निशान मिट सकता है. यही बात […]
लंबे समय से भ्रष्टाचार को जानने-समझने की जिज्ञासा थी. कोशिश करने पर पता चला कि इसकी जननी कोई और नहीं, बल्कि सरकार ही है. वैसे तो भ्रष्टाचार के कई रूप होते हैं, लेकिन मैंने अनुभव किया है कि यदि मनुष्य अपना चरित्र ठीक रखे, तो दुनिया से भ्रष्टाचार का नामो-निशान मिट सकता है.
यही बात सरकारी विभागों पर भी लागू होता है. विभागों में जाने पर पता चलता है कि जाति प्रमाणपत्र से लेकर बड़े से बड़ा काम कराने के लिए चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है. यदि आपने पैसे नहीं दिये, तो आपको कानून का पाठ पढ़ाया जायेगा. आपका काम रुकेगा सो अलग से. बात सिर्फ निचले स्तर के प्रखंड कार्यालयों की ही नहीं है. पुलिस महकमा, शिक्षा विभाग, आयकर विभाग आदि में भी यही हाल है. आज सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारियों व अधिकारियों के चरित्र सुधारने की दरकार है.
सागरिका सेन, नोनीहाट, दुमका