क्या गरीबों के लिए नहीं है हिंदुस्तान?
बाहुबलियों द्वारा उत्तर प्रदेश में एक पत्रकार जगेंद्र की नृशंस हत्या ने देश के आम आदमी के दिल को झकझोर कर रख दिया है. इस घटना ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हिंदुस्तान गरीबों का देश नहीं रह गया है. आज स्थिति यह है कि देश में अपराधी प्रवृत्ति के […]
बाहुबलियों द्वारा उत्तर प्रदेश में एक पत्रकार जगेंद्र की नृशंस हत्या ने देश के आम आदमी के दिल को झकझोर कर रख दिया है. इस घटना ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हिंदुस्तान गरीबों का देश नहीं रह गया है. आज स्थिति यह है कि देश में अपराधी प्रवृत्ति के लोग सरेआम घूम रहे होते हैं और गरीब जेल में कैद होता है.
दुख तो तब होता है, जब नैतिकता की दुहाई देनेवाले नेता लोग पत्रकार जगेंद्र की हत्या के मामले पर चप्पी साध जाते हैं. अकेले जगेंद्र ही नहीं, देश के कई गरीबों के साथ ऐसी घटनाएं होती हैं, लेकिन कोई उसका पक्ष लेनेवाला नहीं होता है. जगेंद्र की घटना तो गरीबों पर हो रहे अत्याचार का प्रतिनिधित्व करती है. देश में नेपथ्य में कई ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर सामने नहीं आ पा रही हैं. गरीबों के लिए सरकार को सोचना होगा.
कुणाल कुमार, सुगीयाडीह, धनबाद