शब्दों को जमीन पर उतारें शरीफ

पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान द्वारा नियंत्रण रेखा पर बार-बार संघर्षविराम का उल्लंघन किया गया है. पाकिस्तानी सेना की भड़काऊ कार्रवाइयों के अनवरत सिलसिले को देखते हुए यह कयास लगाया जा रहा था कि दोनों देशों के बीच बातचीत की संभावनाएं समाप्त हो गयी हैं. लेकिन, आपसी सूझबूझ का परिचय देते हुए दोनों देशों ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 26, 2013 2:43 AM

पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान द्वारा नियंत्रण रेखा पर बार-बार संघर्षविराम का उल्लंघन किया गया है. पाकिस्तानी सेना की भड़काऊ कार्रवाइयों के अनवरत सिलसिले को देखते हुए यह कयास लगाया जा रहा था कि दोनों देशों के बीच बातचीत की संभावनाएं समाप्त हो गयी हैं. लेकिन, आपसी सूझबूझ का परिचय देते हुए दोनों देशों ने राजनयिक स्तर पर वार्ताएं जारी रखीं.

इस संयमभरी रणनीति का ही परिणाम है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के लिए अमेरिका रवाना होने से पहले मनमोहन सिंह ने ऐलान किया कि वहां पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के संग उनकी मुलाकात होगी. यह मुलाकात दोनों देशों के बीच संबंधों को फिर से सामान्य बनाने के साथ-साथ वैश्विक आतंकवाद पर नकेल कसने के लिहाज से भी अहम है.

पाकिस्तान ने माना है कि वैश्विक आतंकवाद को शह देनेवाले तत्व उसकी जमीन पर भी सक्रिय हैं. भारत लगातार कहता रहा है कि उसकी जमीन पर होनेवाली आतंकवादी गतिविधियों का खास रिश्ता पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों से है. यासीन भटकल और अब्दुल करीम टुंडा सरीखे आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद यह बात एक बार फिर से साबित हुई है. दूसरी तरफ पेशावर में एक चर्च पर हुए हमलों ने यह प्रमाणित किया है कि पाकिस्तान पर तालिबान का साया किसी पिशाच की तरह मंडरा रहा है और वहां फल-फूल रहे आतंकवादी खुद पाकिस्तान के वजूद के लिए खतरा हैं.

नवाज शरीफ के साथ होनेवाली बैठक में भारत उनसे सीमा पर शांति की बहाली का वादा तो चाहेगा ही, साथ ही साथ इस बात का ठोस आश्वासन भी चाहेगा कि पाकिस्तानी सरजमीं का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए न हो. केन्या (नैरोबी) की आतंकी घटना ने साबित किया है कि आतंकवाद वैश्विक मानवता का साझा शत्रु है. ऐसे में नवाज शरीफ से अमेरिका और भारत ही नहीं, संयुक्त राष्ट्र महासभा तक की यही अपेक्षा होगी कि वे विश्व मानवता के हित में आतंकवाद के ठिकानों पर कार्रवाई करने का न सिर्फ वादा करें, बल्कि इस दिशा में ठोस कदम भी उठाएं. यह देखना दिलचस्प होगा कि नवाज शरीफ अपने देश के अमन विरोधी तत्वों को दरकिनार कर ऐसा कदम उठाने का साहस दिखा पाते हैं या नहीं!

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