संकट में रियल इस्टेट

झारखंड में रियल इस्टेट का बाजार संकट में है. एक अनुमान के मुताबिक 949 करोड़ के प्रोजेक्ट तो सिर्फ राजधानी रांची में फंसे हैं. पर इसमें निजी निर्माण भी शामिल हैं. तय स्थिति तब बनी है, जब पूरे देश में एफोर्डेबल हाउसिंग यानी कम कीमत में घर को गति देने की बात हो रही है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 22, 2015 5:21 AM
झारखंड में रियल इस्टेट का बाजार संकट में है. एक अनुमान के मुताबिक 949 करोड़ के प्रोजेक्ट तो सिर्फ राजधानी रांची में फंसे हैं. पर इसमें निजी निर्माण भी शामिल हैं. तय स्थिति तब बनी है, जब पूरे देश में एफोर्डेबल हाउसिंग यानी कम कीमत में घर को गति देने की बात हो रही है.
झारखंड में यह स्थिति बनी है सरकारी नियमों की वजह से. नगर निगम में नक्शा पास करने की आवश्यक शर्त बनायी गयी है..जमीन मालिक और बिल्डर के बीच समझौते को रजिस्टर (ज्वायंट डेवलपमेंट एग्रीमेंट) कराने पर कुल लागत का दो फीसदी जमा करना. सभी मानते हैं ज्वायंट डेवलपमेंट एग्रीमेंट तो है जरूरी, पर जो शुल्क तय किये गये हैं, वह व्यावहारिक नहीं है. बिहार-गुजरात जैसे दूसरे राज्यों में काफी कम शुल्क निर्धारित हैं, झारखंड में शुल्क सर्वाधिक है. इस व्यवसाय से जुड़े लोगों का मानना है कि फिनिस्ड प्रोजेक्ट की लागत का पहले आकलन करना मुश्किल है. यह एक बड़ा कारण है, जिस वजह से नक्शा पास नहीं हो पा रहा है.
एक और बड़ा कारण है, वह है अब तक बालू की आपूर्ति सामान्य नहीं हो पाना. कुछ जिलों में बालू के टेंडर तो हो गये हैं, अन्य प्रक्रियाओं की वजह से बालू की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. इस वजह से एक-दो प्रोजेक्ट जो पास हैं, उसका भी काम लटका है. बालू की वजह से आमलोगों के घरों का भी काम लटका है. इसके परिणामस्वरूप रियल इस्टेट का प्रोजेक्ट कॉस्ट बढ़ रहा है.
लोगों को सस्ते घर का सपना मुश्किल लग रहा है. राज्य में सीमेंट और लोहे का व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. यही नहीं, बड़ी संख्या में निर्माण से जुड़े मजदूर बेकार हो गये हैं. एक अनुमान के मुताबिक अगर ये सारे प्रोजेक्ट चल रहे होते, तो कम से कम तीन सौ करोड़ रुपये मजदूरों के बीच जाते. उन्हें दाने-दाने को मोहताज न होना पड़ता.
अब भी समय है..सरकार पहल करे. नियमों को दुरुस्त करे. पर ऐसा कोई काम न करे, जिससे पूरी रियल इस्टेट इंडस्ट्री ही बैठ जाये. आखिर इंडस्ट्री चलेगी, तभी तो सरकार को राजस्व भी मिलेगा. व्यापार भी आगे बढ़ेगा. मजदूरों को काम भी मिलेगा. और हां, बालू की समस्या का हल जल्द खोजे, इससे आम लोगों को बहुत राहत मिलेगी. रियल इस्टेट के लंबित प्रोजेक्ट जल्द पूरे होंगे.

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