सजा से ही कम हो सकता है अपराध
विवेकशीलता पीछे छूटती जा रही है. प्राय: मानव अति क्रूर होता जा रहा है और क्रूरता में हिंसक पशुओं से भी आगे बढ़ रहा है. सुधारने का बहुत प्रयास किया गया और यह अनवरत जारी है. फिर अपराध के काले बादल स्वच्छंता से मंडरा रहे हैं. अपराधों की संख्या चरम को पार कर गयी है. […]
विवेकशीलता पीछे छूटती जा रही है. प्राय: मानव अति क्रूर होता जा रहा है और क्रूरता में हिंसक पशुओं से भी आगे बढ़ रहा है. सुधारने का बहुत प्रयास किया गया और यह अनवरत जारी है. फिर अपराध के काले बादल स्वच्छंता से मंडरा रहे हैं. अपराधों की संख्या चरम को पार कर गयी है. मानव रूपी अपराधी को जेल में सुधारा नहीं जा सकता. सुविधाओं के कारण यह उन्हें सुख प्रदान करती है.
अलाउद्दीन खिलजी ने अपराधियों का पता लगाने के लिए जासूस किये थे, तो छत्रपति शिवाजी ने अपराधियों को सुधारने के कठोर प्रावधान अपनाया था. लोकतंत्र में शासन व्यवस्था सुदृढ़ और स्वच्छ होगी, तभी अपराध और अपराधियों पर लगाम लग सकती है. देश और समाज से अपराधियों की संख्या कम करने के लिए कठोर कदम उठाने की जरूरत है.
युगल किशोर भकत, गिरिडीह