लोकलुभावन नीति से परहेज

आरबीआइ के नये गवर्नर रघुराम राजन की पहली मौद्रिक नीति उद्योग जगत में उत्साह का माहौल नहीं बना पायी. शेयर बाजार सहित रुपये के मूल्य में गिरावट देखी गयी. मगर बाजार की यह प्रतिक्रि या जल्दबाजी में है. यह सच है कि आरबीआइ ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व के विपरीत मौद्रिक नीति की कठोरता को जारी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 30, 2013 2:55 AM

आरबीआइ के नये गवर्नर रघुराम राजन की पहली मौद्रिक नीति उद्योग जगत में उत्साह का माहौल नहीं बना पायी. शेयर बाजार सहित रुपये के मूल्य में गिरावट देखी गयी. मगर बाजार की यह प्रतिक्रि या जल्दबाजी में है. यह सच है कि आरबीआइ ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व के विपरीत मौद्रिक नीति की कठोरता को जारी रखा है. लेकिन यह याद रहे कि फेडरल रिजर्व ने प्रोत्साहन पैकेज को वापस लेने का फैसला कुछ समय के लिए टाला है.

नये गवर्नर ने दूरदृष्टि का परिचय देते हुए स्वतंत्र मौद्रिक नीति जारी की है, जो अर्थव्यवस्था को सही दिशा देने वाली है. चूंकि रुपये को मजबूत करने के साथ-साथ मुद्रास्फीति को थामना भी वक्त की मांग है. रही बात उद्योग जगत की परेशानियों की, तो उसे केवल आरबीआइ की नीतियों से दूर नहीं किया जा सकता. इसके लिए सरकारी प्रयास भी जरूरी हैं.

प्रियंवद ज्ञे, मेल से

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