जल संरक्षण करना बेहद जरूरी

जो प्राणी रेगिस्तान से आ रहा होता है, उसे यदि गला तर करने के लिए पानी मिल जाता है, तो वह उसके लिए अमृत के समान हो जाता है. पानी मिलते ही अनायास उसके मुंह से ‘जल ही जीवन है’ वाक्य निकल जाता है. जल के बिना धरती का कोई भी जीव जीवित नहीं रह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 30, 2015 5:25 AM
जो प्राणी रेगिस्तान से आ रहा होता है, उसे यदि गला तर करने के लिए पानी मिल जाता है, तो वह उसके लिए अमृत के समान हो जाता है. पानी मिलते ही अनायास उसके मुंह से ‘जल ही जीवन है’ वाक्य निकल जाता है. जल के बिना धरती का कोई भी जीव जीवित नहीं रह सकता.
जल ईश्वर द्वारा प्रदत्त ऐसी वस्तु है, जिस पर मानवों का ही नहीं, बल्कि समस्त प्राणियों का जीवन टिका है. पृथ्वी पर जीवन का आधार ही जल है. धरती के गर्भ में समाहित जल का हम मशीनों अथवा पारंपरिक तरीकों से दोहन तो करते हैं, लेकिन उसके संरक्षण का प्रयास नहीं करते. जीवन को सुरक्षित रखने के लिए जल को संरक्षित करना भी आवश्यक है.
चाहे वह धरती के गर्भ में भंडारित हो अथवा वर्षा जल, सबका संरक्षण करना जरूरी है. प्राचीन परंपरा में तालाबों, आहरों, बावड़ियों, कुओं आदि से वर्षा जल का संरक्षण किया जाता था.
उसका दो प्रकार का उपयोग होता था. तत्काल सिंचाई और भूगर्भीय जल के दोहन पर विराम प्राकृतिक जलस्नेतों के जरिये लगाया जाता था. आज भूगर्भीय जल का दोहन अधिक किया जा रहा है, प्राकृतिक व पारंपरिक जलस्नेतों के जरिये संरक्षण कम. आज असावधानीपूर्वक जल का उपयोग करने का ही नतीजा विभिन्न प्रकार की बीमारियों की उत्पत्ति है. हमारे कर्मो से नदी, तालाब और भूगर्भीय जल प्रदूषित हो रहे हैं, मगर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.
जीवन की आपाधापी में सभी सिर्फ उसका दोहन करने में जुटे हैं. यदि इस प्रदूषण को रोका नहीं गया, तो देश में महामारी फैलने से कोई रोक नहीं सकता. वहीं, जल यदि संरक्षित नहीं किया गया, तो वह दिन दूर नहीं, जब एक बूंद पानी भी मयस्सर नहीं होगा.
दीपशिखा चौहान, हजारीबाग

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