माता-पिता की सेवा ही सबसे बड़ी पूजा

मैं प्रभात खबर के माध्यम से लोगों से कहना चाहता हूं कि लोग भक्ति करने दूर-दूर तक का सफर करते हैं. कोई मंदिर जाता है, तो कोई कहीं जाता है. कोई सावन में कांवर लेकर बाबा धाम जाता है, तो कोई हमेशा पूजा-पाठ में ही लगा रहता है. लोगों के बीच भक्ति भावना सिर चढ़ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 1, 2015 5:46 AM
मैं प्रभात खबर के माध्यम से लोगों से कहना चाहता हूं कि लोग भक्ति करने दूर-दूर तक का सफर करते हैं. कोई मंदिर जाता है, तो कोई कहीं जाता है. कोई सावन में कांवर लेकर बाबा धाम जाता है, तो कोई हमेशा पूजा-पाठ में ही लगा रहता है.
लोगों के बीच भक्ति भावना सिर चढ़ कर बोलती दिखायी देती है, लेकिन अधिकाधिक भक्ति भाव प्रदर्शन करनेवाले यह क्यों भूल जाते हैं कि उनके घर-आंगन में ही ईश्वर विराजमान हैं. माता-पिता ही तो धरती के भगवान हैं.
रोज सवेरे उठ कर माता-पिता के चरण स्पर्श करें, उनकी सेवा करें, उनके आदेश का पालन करें, उनकी बात को न टालें, तो इसी में ईश्वर की आराधना पूरी हो जाती है. मनुष्य अपने जीवन में चाहे लाख तरक्की कर ले, चाहे अरबों की संपत्ति अजिर्त कर ले, लेकिन जब उनके माता-पिता खुश नहीं हैं, तो सब व्यर्थ है.
अजय कुमार महतो, सरना टोली, लोहरदगा

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