तकनीक से तरक्की

किसी देश एवं समाज की तकनीकी प्रगति एक ऐसा आईना है, जिसमें उसके आधुनिक और विकसित होने की छवि साफ देखी जा सकती है. इस लिहाज से मोदी सरकार का ‘डिजिटल इंडिया’ कार्यक्रम वक्त के साथ कदमताल करते भारत को विकास के पथ पर तेजी से आगे ले जाने की दिशा में उठाया महत्वपूर्ण कदम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 2, 2015 6:12 AM
किसी देश एवं समाज की तकनीकी प्रगति एक ऐसा आईना है, जिसमें उसके आधुनिक और विकसित होने की छवि साफ देखी जा सकती है. इस लिहाज से मोदी सरकार का ‘डिजिटल इंडिया’ कार्यक्रम वक्त के साथ कदमताल करते भारत को विकास के पथ पर तेजी से आगे ले जाने की दिशा में उठाया महत्वपूर्ण कदम है. इसमें जहां प्रत्येक नागरिक तक इंटरनेट की पहुंच सुनिश्चित करने का लक्ष्य है, वहीं ज्यादा-से-ज्यादा सेवाओं को ऑनलाइन मुहैया कराने का इरादा भी जताया गया है.

इसमें दोराय नहीं कि सेवाओं को ऑनलाइन मुहैया कराने और आंकड़ों के डिजिटीकरण से पारदर्शिता बढ़ेगी, धांधली की गुंजाइश कम होगी और आम लोगों के लिए उसका लाभ उठाना सुगम होगा. ज्यादा वक्त नहीं बीते हैं, जब किसी भी योजना या सेवा के लिए पैसा देना हो या लेना, लोगों को घंटों लाइन में लगना पड़ता था. आज घर बैठे लोग सूचनाओं तक पहुंच रहे हैं, बुकिंग एवं शॉपिंग का लाभ उठा रहे हैं, सब्सिडी उनके खाते में पहुंच रही है, लेन-देन चौबीसों घंटे ऑनलाइन हो रहा है.

इस लिहाज से देश को अधिक-से-अधिक डिजिटल बनाने और इसे ‘मेक इन इंडिया’ तथा ‘स्किल इंडिया’ जैसे अन्य कार्यक्रमों के साथ जोड़ने के इरादे नेक हैं, परंतु देश की अल्प शिक्षित बड़ी आबादी के जीवन में बदलाव तभी आयेगा, जब उनमें भी नयी तकनीक का लाभ उठाने की मनोवृत्ति विकसित होगी. देश की बड़ी आबादी गांवों में रहती है, लेकिन एक आकलन के मुताबिक उनमें करीब दस फीसदी की पहुंच ही इंटरनेट तक है. शहरों में भी करीब 65 फीसदी लोग ही इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं. हालांकि सरकार ने डिजिटल साक्षरता बढ़ाने की बात भी कही है, लेकिन उसकी प्रगति पिछली सदी से चल रहे ‘संपूर्ण साक्षरता कार्यक्रम’ की तरह हुई तो ‘डिजिटल इंडिया’ का सपना साकार होने में भी दशकों लग सकते हैं.

देश को डिजिटल बनाने की दिशा में इ-गवर्नेस सहित कई योजनाओं की शुरुआत यूपीए सरकार के वक्त भी हुई थी, लेकिन उनकी मंथर गति का अंदाजा दो लाख पंचायतों को नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ने की योजना से लगाया जा सकता है. 2006 में शुरू हुई यह योजना 2013 में ही पूरी होनी थी, पर आज भी लक्ष्य से दूर है. हाल के वर्षो में देश के जिन कुछ राज्यों में इ-गवर्नेस की दिशा में बेहतर प्रगति हुई है, उसका काफी श्रेय वहां की राज्य सरकारों को जाता है. उम्मीद करनी चाहिए कि नये माहौल में केंद्र एवं राज्य सरकारें ‘डिजिटल इंडिया’ का सपना साकार करने की दिशा में मिल कर कदम बढ़ाएंगी.

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