मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मैन्युफैक्चरिंग उद्योगों के लिए जल्द ही एक्सपर्ट कमेटी बना कर समयबद्ध एक्शन प्लान तैयार करने की घोषणा की है. इस घोषणा से एक बार फिर मैन्युफैक्चरिंग उद्योगों के बेहतरी की उम्मीद जगी है. मैन्युफैक्चरिंग उद्योगों को बचाने के लिए राज्य सरकार को तुरंत पहल करने की जरूरत है. यह बहुत ही निराशाजनक बात है कि राजय में प्रतिवर्ष 1500 करोड़ के कृषि यंत्रों की मांग है.
इसके बावजूद राज्य में न तो कृषि यंत्र बनाने के उद्योग हैं और न ही उनके स्पेयर बनते हैं. राज्य में इन उद्योगों के लिए अब तक अनुकूल नीति नहीं बनने के कारण यह उद्योग अब तक पनप नहीं पाया है. इसी तरह पीवीसी पाइप का बहुत बड़ा उपभोक्ता वर्ग राज्य में हैं लेकिन मांग के अनुरूप राज्य में उत्पादन न के बराबर है. दरअसल उद्योगों में निवेश के लिए राज्य सरकार ने बिहार राज्य उद्योग निवेश परिषद का गठन तो किया है. लेकिन अब तक इस परिषद की एक मात्र ही बैठक हुई है. करीब एक साल बाद दूसरी बैठक आयोजित करने की तैयारी चल रही है.
उद्योगों को लेकर राज्य के अफसरों का रवैया भी बहुत उदासीन रहा है. इस उदासीनता के कारण ही सरकार की नीतियों पर सही तरीके से काम नहीं हो पा रहा है. राज्य में पिछले कुछ सालों में करीब छह हजार करोड़ का निवेश हुआ है. इस निवेश में करीब पांच हजार करोड़ का निवेश राज्य के उद्यमियों ने ही किया है. इसके बावजूद राज्य के उद्यमियों की परेशानियों को सुलझाने के लिए बड़ी पहल नहीं की गयी है. अब एक्सपर्ट कमेटी तीन चार दिनों में ही गठित करने की घोषणा मुख्यमंत्री ने की है. इस एक्सपर्ट कमेटी की मैन्युफैक्चरिंग उद्योगों के लिए रोडमैप तैयार करने में बड़ी भूमिका होगी. इस कमेटी में राज्य सरकार व उद्योग संघों के प्रतिनिधियों के अलावा विशेषज्ञों को भी शामिल करने की तैयारी है.
बिजली की समस्या के बावजूद उद्यमी लगातार अपने स्तर पर जुटे हुए हैं. अब उद्यमियों को उद्योग विभाग के प्रधान सचिव से भी ढ़ेरों उम्मीदें हैं. उद्यमी पंचायत में बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने खाद्य प्रसंस्करण प्रोत्साहन नीति की तरह राज्य में पर्यटन उद्योग प्रोत्साहन नीति, सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों, आईटी उद्योगों के लिए नयी नीति बनाने के साथ पूंजी निवेश पर अनुदान की मांग लगातार करता रहा है.