कब रुकेगा समाज का नैतिक पतन

आजकल मीडिया में दुराचार की खबरें भरी रहती है. पहले पन्ने से लेकर आखिरी पन्ने तक कोई न कोई खबर दिल को झकझोरने वाली रहती है. दिल्ली की दामिनी और गुड़िया का बर्बर दुष्कर्म कांड या खूंटी की बच्ची के साथ जो अत्याचार हुए, वे सिर्फ अखबारों और मीडिया चैनलों के लिए एक खबर मात्र […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 2, 2013 3:21 AM

आजकल मीडिया में दुराचार की खबरें भरी रहती है. पहले पन्ने से लेकर आखिरी पन्ने तक कोई न कोई खबर दिल को झकझोरने वाली रहती है. दिल्ली की दामिनी और गुड़िया का बर्बर दुष्कर्म कांड या खूंटी की बच्ची के साथ जो अत्याचार हुए, वे सिर्फ अखबारों और मीडिया चैनलों के लिए एक खबर मात्र था.

इन खबरों को सुर्खियां तो मिली, लेकिन न्याय नहीं. कहने को हम 21वीं सदी में पहुंच गये हैं. विकास के हर क्षेत्र में उच्च सीमा से गुजर रहे हैं, लेकिन हमारी राजनीतिक तथा सामाजिक बुराइयां सभ्यता पूर्व के दौर को भी मात दे रही है. मंत्री से लेकर अधिकारी तक कोई न कोई घोटाले में लिप्त हैं. यहां तक की देश के बड़े से बड़े धर्मगुरु भी इस क्रम में पीछे नहीं हैं. पूरा समाज नैतिक पतन के गड्ढे में गिरता जा रहा है. प्रश्न यह है कि आखिर ऐसे घृणित अपराधों को कैसे रोका जाये? इमाम हाशमी, रांची

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