नशीले पदार्थो के शिकंजे में युवा पीढ़ी
कुछ दिन पहले ही अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ विरोधी दिवस मनाया गया. ऐसे अवसरों पर न केवल समाचार पत्रों, बल्कि सामाजिक और शैक्षणिक संस्थानों द्वारा भी जागरूकता और बचाव के उपाय बतलाये जाते हैं.कुछ अभियान भी चलाये जाते हैं, जिनका एक-दो दिन बाद प्रभाव खत्म हो जाता है. यहां तक कि ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री […]
कुछ दिन पहले ही अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ विरोधी दिवस मनाया गया. ऐसे अवसरों पर न केवल समाचार पत्रों, बल्कि सामाजिक और शैक्षणिक संस्थानों द्वारा भी जागरूकता और बचाव के उपाय बतलाये जाते हैं.कुछ अभियान भी चलाये जाते हैं, जिनका एक-दो दिन बाद प्रभाव खत्म हो जाता है. यहां तक कि ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि हमारे देश की युवा पीढ़ी नशे के शिकंजे में फंसती चली जा रही है.
यह कहना गलत नहीं होगा कि आज की युवा पीढ़ी एक-दूसरे की देखादेखी, तनाव के कारण या फिर गलत संगतकी वजह से नशीले पदार्थो के सेवन की आदी होती जा रही है.
इससे उनका भविष्य तो बर्बाद हो ही रहा है, वे अपनी लत की पूर्ति के लिए आपराधिक वारदातों को अंजाम देने से भी गुरेज नहीं करते. मादक पदार्थो का अवैध कारोबार देश के सभी प्रदेशों के युवाओं को अपने शिकंजे में कसता जा रही है. इसे जितना अधिक रोकने का प्रयास किया जा रहा है, लोग-बाग चोरी-छिपे उतना ही ज्यादा इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.
हर वर्ग के घरों के लड़के-लड़कियों में प्राय: इसकी लत देखी जा रही है. कोई किसी प्रकार से इसका सेवन कर रहा है, तो कोई तरीका बदल कर. गांव के चौराहों, गलियों, चौपालों और पान की दुकानों पर, तो शहरों में कॉलेजों की कैंटीनों, नुक्कड़ों, मोहल्लों की गलियों में कुछ न कुछ लोग नशीले पदार्थो का सेवन करते हुए अक्सर पाये जाते हैं.
भारत में युवाओं की आबादी सबसे अधिक मानी जाती है. ऐसे में नशीले पदार्थो का सबसे अधिक धंधा इन्हीं लोगों के बीच फलता-फूलता है. सरकार को युवाओं को इसके शिकंजे से बाहर निकालने के लिए कठोर कदम उठाने होंगे.
अनुराग कुमार मिश्र, पिस्का मोड़, रांची