सच सहने की शक्ति सबमें नहीं होती

तीन जुलाई को प्रभात खबर डॉट कॉम के कुणाल किशोर की गोविंदाचार्य से बातचीत प्रकाशित करने के लिए साधुवाद. आपातकाल के पूर्व से लेकर अब तक की भारतीय राजनीति की सूक्ष्म व्याख्या जिस तरह गोविंदाचार्य ने की है, वह काबिलेतारीफ है. निडरता के साथ सच्चाई को परिभाषित करने में उनका कोई सानी नहीं. भूतपूर्व प्रधानमंत्री […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 4, 2015 5:31 AM
तीन जुलाई को प्रभात खबर डॉट कॉम के कुणाल किशोर की गोविंदाचार्य से बातचीत प्रकाशित करने के लिए साधुवाद. आपातकाल के पूर्व से लेकर अब तक की भारतीय राजनीति की सूक्ष्म व्याख्या जिस तरह गोविंदाचार्य ने की है, वह काबिलेतारीफ है.
निडरता के साथ सच्चाई को परिभाषित करने में उनका कोई सानी नहीं. भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जो उदारवादी माने जाते हैं, को भाजपा का ‘मुखौटा’ कहने का साहस सिर्फ गोविंदाचार्य जैसे देसी चिंतक और विचारक ही कर सकते हैं. यह भारतीय राजनीति की विडंबना ही है कि आज तक वे भारतीय जनता पार्टी से निर्वासित हैं. संघ भी उन्हें अपना प्रचारक मानने से इनकार कर रहा है. शायद गोविंदाचार्य की सच्चाई के डंक को सहन करने की शक्ति न भाजपा में है और न ही संघ में.
अंबिका दास, सोनारी, जमशेदपुर

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