व्यापमं के सबक
व्यापमं घोटाला मामले में दो और संदिग्ध मौतों ने पूरे प्रकरण की भयावहता को गहरा करने के साथ फिर इस बात को रेखांकित किया है कि इस घपले के तार बुरी तरह उलङो हुए हैं. हालांकि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री ने निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया है, परंतु ये आश्वासन कितने […]
व्यापमं घोटाला मामले में दो और संदिग्ध मौतों ने पूरे प्रकरण की भयावहता को गहरा करने के साथ फिर इस बात को रेखांकित किया है कि इस घपले के तार बुरी तरह उलङो हुए हैं.
हालांकि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री ने निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया है, परंतु ये आश्वासन कितने कारगर होंगे, यह तो समय ही बतायेगा. अब तक हुई जांच में यह स्पष्ट हो चुका है कि इस घोटाले में शीर्ष स्तर पर बैठे राजनेताओं, उच्च पदस्थ नौकरशाहों और शिक्षण संस्थाओं के वरीय अधिकारियों समेत अनेक छात्र और अभिभावक शामिल हैं.
इस घपले की गंभीरता के मद्देनजर देश के समूचे शिक्षा-तंत्र में बुरी तरह से पैठ बना चुके भ्रष्टाचार और अनियमतिताओं की ओर ध्यान देने की जरूरत है. पिछले ही महीने सुप्रीम कोर्ट ने अखिल भारतीय स्तर पर होनेवाली मेडिकल संस्थाओं में प्रवेश-परीक्षा को रद्द कर पुन: कराने का आदेश दिया है. इस परीक्षा में बड़े पैमाने पर पर्चे लीक हुए थे.
इसके तार उत्तर प्रदेश की संयुक्त मेडिकल परीक्षा में हुई धांधली से जुड़ने के संकेत हैं और इसके परिणामों को रद्द करने की याचिकाएं न्यायालय में विचराधीन हैं. मई महीने में अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय ने मेडिकल पाठ्यक्र मों में प्रवेश के लिए हुई परीक्षा की जांच के आदेश दिये हैं.
ये घटनाएं तो पिछले एक-दो महीने में ही सामने आयी हैं. परीक्षाओं में धांधली, कदाचार, पर्चे लीक करने, पैसे के एवज में प्रवेश दिलाने, फर्जी डिग्रियां देने आदि मामले हैं जो अक्सर सामने आते हैं. शिक्षकों की भर्ती से लेकर न्यायिक सेवाओं में धांधली व घपले रोजमर्रा की बात बन चुके हैं.
दुर्भाग्य से ऐसे मामलों में मुख्यमंत्री, कई मंत्री, नौकशाह, कुलपति, रजिस्ट्रार, लोकसेवा आयोगों के प्रमुख व सचिव आदि जैसे लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, लेकिन केंद्रीय स्तर पर और राज्यों के बोर्ड, तकनीकी शिक्षा आयोग और अन्य परीक्षा संस्थाओं के कामकाज के तरीके और प्रबंधन की गड़बिड़यों पर हमारी संसद, विधानसभाओं और अदालतों ने कोई बहस नहीं चलायी. व्यापमं और अन्य घोटाले हमारे सामने एक चुनौती हैं कि हम अपनी शिक्षा और भर्ती प्रणाली के कुप्रबंधन में ठोस सुधार की पहल करें.
अगर ऐसा नहीं हुआ, तो न सिर्फ हमारी युवा प्रतिभाओं का, बल्कि राष्ट्र का भविष्य भी अंधेरे की गर्त में चला जायेगा. भ्रष्टाचार और धांधली से चिकित्सक, इंजीनियर, शिक्षक और प्रशासनिक अधिकारी बने अक्षम और अयोग्य लोगों के हाथों में करोड़ों लोगों के जीवन को सौंप देना आत्मघाती है. यदि सरकारें और समाज अब नहीं चेते, कल अफसोस कर सकने का मौका भी नहीं होगा.