त्वरित न्याय से ही अपराध पर अंकुश

कहते हैं कि जब हाथी बेकाबू होने लगता है, तो महावत उसके कान में लोहे का अंकुश चुभोता है. असर यह होता है कि हाथी उत्पात मचाना बंद कर देता है. अभी रांची में एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने नाबालिग की बलात्कार के बाद हत्या के मामले में मुजरिम को फांसी की सजा सुनायी है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 7, 2013 2:52 AM

कहते हैं कि जब हाथी बेकाबू होने लगता है, तो महावत उसके कान में लोहे का अंकुश चुभोता है. असर यह होता है कि हाथी उत्पात मचाना बंद कर देता है. अभी रांची में एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने नाबालिग की बलात्कार के बाद हत्या के मामले में मुजरिम को फांसी की सजा सुनायी है. इसको लोग कुछ इसी परिप्रेक्ष्य में देख रहे हैं.

लोगों को लग रहा है कि अगर ऐसे मामलों की त्वरित सुनवाई हो और शीघ्र फैसला मिले, तो उस प्रवृत्ति पर अंकुश लग सकेगा जो अपराध करने के लिए लोगों को उकसाती है. झारखंड में साल दर साल आपराधिक घटनाओं में हो रही बढ़ोतरी, किसी ठोस पहल की मांग कर रही है.

खासकर बात जब महिलाओं के खिलाफ हिंसा बलात्कार की हो, तो बेचैनी ज्यादा होती है. खुद सरकार के आंकड़े इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त हैं कि कैसे आपराधिक घटनाओं का ग्राफ बढ़ा है. सूबे में पिछले बारह सालों में चार लाख बाईस हजार आपराधिक मामले दर्ज किये गये. इसमें साढ़े पांच लाख से ज्यादा लोग गिरफ्तार किये गये. बलात्कार के आंकड़े भी शर्मसार करने वाले हैं. बलात्कार के सबसे ज्यादा मामले संताल परगना में दर्ज होते हैं.

यह एक चिंतनीय विषय है. कारण यह कि बेहतर नागरिक ही किसी बेहतर देश या प्रदेश का निर्माण करते हैं. ऐसे में झारखंड विकास का राजमार्ग छोड़ कर किस कंटकाकीर्ण पगडंडी की ओर जा रहा है, यह साफ है. यह हालत उस राज्य की है जिसमें आम लोगों के घरों तक विकास का सूरज ले जाने की छटपटाहट थी.

लंबे संघर्ष ने राज्य के रूप में एक संवैधानिक पहचान हक तो दिया, पर इसे सपनों के अनुरूप संवारने की सुधि नहीं रही. सत्ताकुरसी की छीनाझपटी ने इसके मायने ही बदल दिये. अपराध के ग्राफ में लगातार बढ़ोतरी से किसी भी राज्य की कानूनव्यवस्था के समक्ष गंभीर संकट उत्पन्न हो जाता है. विकास के साथ साथ सुशासन भी जरूरी है. अभी भी समय है, सरकार अपराध निरोध के लिए प्रत्येक जिले में फास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से मामलों का निष्पादन कराये.

इससे अपराध तथा अपराध करने की प्रवृत्ति, दोनों पर अंकुश लग पाने में मदद मिल सकती है. यह लोगों की सोच के अनुरूप ही आशातीत परिणाम दे, तो कोई आश्चर्य नहीं.

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