फाइनल से पहले का यह सेमीफाइनल
।। रविभूषण ।। वरिष्ठ साहित्यकार हिंदीभाषी चार राज्यों के चुनाव लोकसभा चुनाव के पूर्व माहौल बना सकते हैं. गंवाना भाजपा को नहीं है. कांग्रेस दो राज्यों में अपनी सरकार सही–सलामत रखे, तो यह कम बड़ी बात नहीं होगी. यह चुनाव फाइनल के पहले का सेमीफाइनल है! चुनाव आयोग द्वारा पांच राज्यों (दिल्ली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, […]
।। रविभूषण ।।
वरिष्ठ साहित्यकार
हिंदीभाषी चार राज्यों के चुनाव लोकसभा चुनाव के पूर्व माहौल बना सकते हैं. गंवाना भाजपा को नहीं है. कांग्रेस दो राज्यों में अपनी सरकार सही–सलामत रखे, तो यह कम बड़ी बात नहीं होगी. यह चुनाव फाइनल के पहले का सेमीफाइनल है!
चुनाव आयोग द्वारा पांच राज्यों (दिल्ली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम) के विधानसभा चुनावों की घोषणा के बाद सबकी नजर इस पर होगी कि कांग्रेस और भाजपा सहित बसपा–सपा साफ–सुथरे, सुयोग्य, कर्मठ और ईमानदार छविवाले प्रत्याशी कितनी संख्या में इन चुनावों में खड़ा करती हैं. अगले वर्ष के लोकसभा चुनाव के पहले ये चुनाव आपराधिक छविवाले लोगों को टिकट न दिये जाने के कारण भी कुछ अर्थो में ही सही महत्वपूर्ण होंगे.
‘कांग्रेस मुक्त भारत’ से बड़ा प्रश्न ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत’ का है, जिसके लिए सभी राजनीतिक दलों को आत्मचिंतन और पुनर्विचार करना होगा. लालू प्रसाद को पांच वर्ष की सजा सुनाते हुए सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने यह कहा भी है कि भ्रष्टाचार ईश्वर की तरह सर्वव्याप्त है. पांच राज्यों के चुनाव के ठीक पहले भारत सरकार ने दागियों पर अध्यादेश को वापस ले लिया है और सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में अस्वीकार करने का ‘क्रांतिकारी’ फैसला दे दिया है.
पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम को छोड़ दें, तो शेष चारों राज्य हिंदीभाषी हैं, जिनमें दो राज्यों–मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा की तथा दिल्ली–राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार 2003 से है. मध्य प्रदेश में 2003 के चुनाव में भाजपा को 173 सीटें मिली थीं, जो 2008 के चुनाव में घट कर 143 हो गयी.
2003 के पहले वहां 10 वर्ष तक कांग्रेस का शासन था और दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे. 66 वर्षीय दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह अब कांग्रेस में हैं. 42 वर्षीय ज्योतिरादित्य सिंधिया 54 वर्षीय शिवराज सिंह चौहान से 12 वर्ष छोटे हैं. शिवराज सिंह चौहान की सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं और उनके मंत्री बुरे कर्मो के कारण जेल में भी हैं.
मध्य प्रदेश में भाजपा की जीत मोदी की जीत नहीं होगी. अगर कांग्रेस जीतती है, जिसकी संभावना कम है, तो यह जीत राहुल गांधी की मानी जायेगी, क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया राहुल गांधी की टीम के हैं. मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार की कई योजनाएं प्रमुख हैं, जिनमें ‘अन्नपूर्णा योजना’ के तहत गेहूं और नमक एक रुपये किलो तथा चावल दो रुपये किलो दिया जाता है. लाडली लक्ष्मी योजना और मुख्यमंत्री कन्यादान योजना ने भी लोगों को लाभ पहुंचाया है.
शिवराज सिंह चौहान की 50 दिनों की ‘जनआशीर्वाद यात्रा’ समाप्त हो चुकी है और उनके नारे में निवेश, रोजगार और राजस्व प्रमुख हैं. यहां कांग्रेस एकजुट है, पर उमा भारती और कैलाश विजयवर्गीय मुख्यमंत्री के कितने साथ हैं, यह चुनाव परिणाम से मालूम होगा. मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार और अपराध कम नहीं है. सड़कें अब भी खराब हैं और बिजली हर समय नहीं रहती.
छत्तीसगढ़ में पिछले दो विधानसभा चुनावों में भाजपा की सीट 50 रही है. कांग्रेस की केवल एक सीट बढ़ी 2008 में-37 से 38. वहां भाजपा की जीत सुनिश्चित है. कांग्रेस की स्थिति कमजोर है. उसके बड़े नेता माओवादी हमले में मारे जा चुके हैं. अब अजीत जोगी प्रमुख हैं. उनका कांग्रेस पर और कांग्रेस का उन पर भरोसा कम है. माओवादी इलाकों में भाजपा प्रमुख है.
वह इन इलाकों में 12 क्षेत्रों में से 11 पर विजयी रही थी. कांग्रेस के मोतीलाल वोरा, अजीत जोगी, महंत चरणदास के अपने–अपने अनुयायी–समर्थक हैं. यहां सरकार की ‘खाद्य सुरक्षा योजना’ पहले से हैं. अजीत जोगी कांग्रेस की मजबूरी हैं. उनके कारण कांग्रेस पहले भी हारी थी. बागी उम्मीदवार खड़े कर कांग्रेस के सामने उन्होंने परेशानियां खड़ी की थीं. कांग्रेस पार्टी की ‘कलश यात्रा’ अधिक लाभदायक नहीं रही है. रमन सिंह की सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप है. छत्तीसगढ़ में नदियां बिकी हैं. वहां के लोगों की लगभग छह लाख एकड़ जमीन पूंजीपतियों को बेच दी गयी है.
सिंधिया परिवार का एक सदस्य भाजपा में और दूसरा सदस्य कांग्रेस में रहा है. ज्योतिरादित्य और वसुंधरा राजे में फर्क है. ज्योतिरादित्य पार्टी और हाइकमान के साथ हैं. वसुंधरा राजे के लिए पार्टी और हाइकमान अर्थ नहीं रखता. उन्हें नरेंद्र मोदी का इस अर्थ में स्त्री–संस्करण कहा जा सकता है.
‘राजस्थान का नरेंद्र मोदी’ उन्हें कहा भी जाता है. उनमें और मोदी में कई साम्य हैं. साधारण परिवार और राज–परिवार का सदस्य होने से कोई अंतर नहीं है. वसुंधरा राजे को उनके दल के लोग भीतर से नहीं चाहते. राजस्थान में भाजपा की वे एकमात्र प्रमुख नेता हैं. उनकी ‘सुराज संकल्प यात्रा’ का परिणाम चुनाव में मालूम होगा. राजस्थान में कांग्रेस की सरकार पांच वर्ष से है. सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं.
अशोक गहलोत के बेटे पर आरोप है निजी कंपनियों को लाभ दिलाने का. 2003 में यहां भाजपा सत्ता में थी. 2008 के चुनाव में उसकी 44 सीटें घट गयीं (120 से 78) और कांग्रेस की 40 सीटें बढ़ीं (56 से 96). केंद्र सरकार में राजस्थान के मंत्रियों की संख्या अधिक है. पांच केंद्रीय मंत्री और चार राज्य मंत्री कितने प्रदेशों के हैं! मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की तुलना में दिल्ली और राजस्थान का चुनाव कांग्रेस के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण है. यहां उसे अपनी सरकार बचानी है. एक राज्य से भी उसकी विदाई लोकसभा चुनाव में संकट खड़ा करेगी.
1977 के बाद पहली बार आंदोलन से एक नयी पार्टी–आम आदमी पार्टी का जन्म हुआ है. सूचनाधिकार, भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन और लोकपाल आंदोलन के बाद अरविंद केजरीवाल की नयी पार्टी जनचेतना के विकास को महत्व देती है. देश में सर्वत्र कमोवेश ‘विकास’ की बात की जाती है, पर लोक चेतना के विकास के बगैर लोकतंत्र का विकास अवरुद्ध होता है, इस पर राजनीतिक दलों का ध्यान नहीं जाता. आम आदमी पार्टी का जन्म पिछले वर्ष हुआ है.
यह आंदोलन के गर्भ से उत्पन्न राजनीतिक दल है. बिजली दर में वृद्धि के बाद अब इस दल का प्रमुख मुद्दा भ्रष्टाचार है. 15 वर्ष से दिल्ली में कांग्रेस की सरकार है. शीला दीक्षित के चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की संभावना है. दिल्ली में चुनाव त्रिकोणीय होगा! दिल्ली में भाजपा के ‘खेवनहार’ नरेंद्र मोदी हैं. विजय गोयल उनके सहारे हैं. शीला दीक्षित को किसी व्यक्ति–विशेष का सहारा नहीं है.
अरविंद केजरीवाल की पार्टी जनता के सहारे है.
मिजोरम में कांग्रेस सत्ता में है और उसकी जीत तय है. हिंदीभाषी चार राज्यों के चुनाव लोकसभा चुनाव के पूर्व माहौल बना सकते हैं. गंवाना भाजपा को नहीं है. कांग्रेस दो राज्यों में अपनी सरकार सही–सलामत रखे, तो यह कम बड़ी बात नहीं होगी. यह चुनाव फाइनल के पहले का सेमीफाइनल है!