नदियों की सफाई पर करोड़ों बर्बाद हुए
जिस देश की सड़कें शानदार हों और उसके किनारे हरियाली हो, जिसकी नदियां निर्मल, शीतल और स्वच्छ जल प्रवाहित करती हों, वह देश सही मायने में सौभाग्यशाली और प्रेरणादायक है.सड़कें, नदियां ही तो देश की प्रगति की सबसे बड़ी रेखाएं हैं. इसीलिए तो संस्कृति और प्राचीन शहरों का विकास इनके किनारे हुआ है. हमारे देश […]
जिस देश की सड़कें शानदार हों और उसके किनारे हरियाली हो, जिसकी नदियां निर्मल, शीतल और स्वच्छ जल प्रवाहित करती हों, वह देश सही मायने में सौभाग्यशाली और प्रेरणादायक है.सड़कें, नदियां ही तो देश की प्रगति की सबसे बड़ी रेखाएं हैं. इसीलिए तो संस्कृति और प्राचीन शहरों का विकास इनके किनारे हुआ है.
हमारे देश में पावन और पवित्र नदियों की कमी नहीं है, लेकिन इन नदियों में गाद और गंदगी भरी पड़ी है. जिसे हम पवित्र मान कर पूजा करते थे, दुर्भाग्यवश वे दोनों नदियां भी सालों से प्रदूषित हैं. इन दोनों नदियों का जल आचमन करने के लायक भी नहीं रहा.
केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा सफाई और खुदाई की नौटंकी खूब की जा रही हैं. दशकों पहले इन नदियों को प्रदूषणमुक्त करने के नाम पर करोड़ों रुपये बर्बाद हो गये, पर अभी तक उसका नतीजा सामने नहीं आया है.
वेद मामूरपुर, नरेला, दिल्ली