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संपादक महोदय, 14 जुलाई को प्रभात खबर के मुख्य पृष्ठ पर राज्य के मुख्यमंत्री की खबर ‘विकास विरोधी सफेदपोश व गुंडों से सतर्क रहें’ पढ़ कर मैं अचंभित हो गया. सीएम का यह बयान राजनीतिक तौर पर ही नहीं, आम बोल-चाल के लिए भी आपत्तिजनक है. जिस समारोह में उन्होंने ये बात कही है, वहां […]
संपादक महोदय, 14 जुलाई को प्रभात खबर के मुख्य पृष्ठ पर राज्य के मुख्यमंत्री की खबर ‘विकास विरोधी सफेदपोश व गुंडों से सतर्क रहें’ पढ़ कर मैं अचंभित हो गया. सीएम का यह बयान राजनीतिक तौर पर ही नहीं, आम बोल-चाल के लिए भी आपत्तिजनक है.
जिस समारोह में उन्होंने ये बात कही है, वहां इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के भी लोग उपस्थित थे. सबने अपने चैनल पर इसे प्रसारित भी किया. पूरे देश-दुनिया के हिंदी भाषी लोगों ने इस समाचार को देखा. सोशल मीडिया में भी इस बयान पर आपत्ति जाहिर की जा रही है.
महाशय, चिंता का विषय यह है कि जब राज्य के प्रतिष्ठित शासक ही ऐसे हल्के शब्दों का प्रयोग करेंगे, तो आम आदमी पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? आज झारखंड राज्य की जनता को ‘जाहिल’ की संज्ञा से पुकारा जा रहा है. कम से कम राजनेता तो ऐसे बयान न दें.
गणोश सिटू, हजारीबाग