भ्रष्टाचार पर नियंत्रण करना जरूरी

झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास आजकल गंभीर कर्तव्यबोध और एक असह्य पीड़ा से जूझ रहे हैं. उनकी पीड़ा दीमक की तरह झारखंड को चाट रहा भ्रष्टाचार है. वे खुद ही कहते हैं कि वे जहां छूते हैं, वहां भ्रष्टाचार की गर्द ही दिखायी देती है. उनका यह दर्द लाजिमी भी है क्योंकि वे काम करना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 17, 2015 1:43 AM
झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास आजकल गंभीर कर्तव्यबोध और एक असह्य पीड़ा से जूझ रहे हैं. उनकी पीड़ा दीमक की तरह झारखंड को चाट रहा भ्रष्टाचार है. वे खुद ही कहते हैं कि वे जहां छूते हैं, वहां भ्रष्टाचार की गर्द ही दिखायी देती है. उनका यह दर्द लाजिमी भी है क्योंकि वे काम करना चाहते हैं.
मुख्यमंत्री रघुवर दास झारखंड को एक समृद्ध राज्य बनाने का सपना संजोये हुए हैं, मगर उन्हें इस बात का अंदेशा है कि भ्रष्टाचार उनके सपने को चकनाचूर भी कर सकता है. झारखंड की हालत अच्छी नहीं है. राज्य में भ्रष्टाचार चप्पे-चप्पे पर है. गंगा के तट पर कचरा जम जाये, तो यह लाजिमी है, लेकिन अब तो गंगोत्री ही गंदी हो गयी है. स्थिति यह है कि सांसद-विधायक मद में पिछले दरवाजे से भ्रष्टाचार का खेल बेखौफ चल रहा है.
यह भ्रष्टाचार की एक नयी तकनीक कही जा सकती है. इस पर लोगों की जरूरतों के हिसाब से योजनाओं के चयन करने की परिपाटी करीब-करीब समाप्त हो चुकी है. भ्रष्टाचार नियंत्रण के लिए होनेवाला सरकारी प्रयास सिर्फ खानापूर्ति है.
कमजोर व लाचार कर्मचारी एवं पदाधिकारियों पर ही खुफिया विभाग अपना पौरुष दिखाता है. ताकतवर लोग पर उसका कोई असर नहीं पड़ता. मुख्यमंत्री सफेदपोश और असामाजिक तत्वों को विकास का बाधक मानते हैं. इसका कारण है कि रोजगार के क्षेत्र में आज नेतागीरी एक अच्छा साधन है. इसमें किसी विशेष योग्यता के बिना ही समाज सेवा का सर्टिफिकेट मिलता है.
राजनीति में शुचिता और नैतिकता ने अपना दम तोड़ दिया है. भ्रष्टाचार में लिप्त पूरा तंत्र अब बहती गंगा में स्नान करने को बेताब है. यदि समय रहते नियंत्रण नहीं किया, तो हमारा देश पूरी दुनिया में बदनाम हो जायेगा.
प्रो शैलेंद्र मिश्र, रांची

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