गांवों की दशा अब भी दयनीय

हमारा देश पहले भी दो भागों में विभाजित था, एक भारत और दूसरा इंडिया. आज भी ये दो पाटों के बीच का फासला बरकरार है.समय बदला, सरकारें बदलीं, लेकिन यदि कुछ नहीं बदला, तो आम आदमी का भाग्य. वैसे तो मैं विकास और आधुनिकता का समर्थक हूं. फिर भी मन में जब-तब कुछ सवाल कौंधते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 21, 2015 1:20 AM

हमारा देश पहले भी दो भागों में विभाजित था, एक भारत और दूसरा इंडिया. आज भी ये दो पाटों के बीच का फासला बरकरार है.समय बदला, सरकारें बदलीं, लेकिन यदि कुछ नहीं बदला, तो आम आदमी का भाग्य. वैसे तो मैं विकास और आधुनिकता का समर्थक हूं. फिर भी मन में जब-तब कुछ सवाल कौंधते हैं. जिस देश की 73 फीसदी आबादी अब भी ग्रामीण है और जहां के किसान आये दिन दुनिया से कूच कर रहे हें, वहां सौ स्मार्ट सिटी बनाने की बात कुछ हजम नहीं होती.

दुखद यह भी है कि इसका नाम आते ही लोग ऐसे खुश होते हैं, जैसे चंद रोज में स्मार्ट सिटी बनी और लोग झट उसमें बस गये. जिस देश की रेलगाड़ियों में सवारियों को सुविधाएं प्राप्त करने के लिए इंतजार करना पड़ता हो, वहां बुलेट ट्रेन की बात समझ में नहीं आती. हम तो आज भी अच्छे दिन के इंतजार में बैठे हैं.

नीतीश कुमार निशांत, रांची

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