मैं आपके अखबार के जरिये झारखंड सरकार का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूं कि राज्य में पुलिस की भरती कब तक होगी? मैंने सुना है कि कुछ राजनीतिक दल के नेता स्थानीय नीति और नियोजन नीति को मुद्दा बना कर रोक लगा रखी है. इसके विपरीत देखा यह भी जा रहा है कि सरकार की ओर से कुछ बेरोजगारों को नियुक्ति पत्र भी बांटा जा रहा है.
अधिकतर स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति हो गयी है. यह नियुक्ति स्थानीयता और नियोजन की नीति को लागू किये बगैर की गयी है. वर्षो से झारखंड पुलिस में भरती होने की इच्छा रखनेवाले युवकों को नियुक्ति से वंचित क्यों रखा जा रहा है? महाशय, सरकार से आग्रह है कि आखिर यहां के नेता बेरोजगारों पर राजनीति क्यों कर रहे हैं? क्या उन्हें स्थानीयता की नीति लागू करवाने के लिए बेरोजगारों को सताना जरूरी है?
बिमल कुमार सोरेन, खाड़बांधा, पू सिंहभूम