हाथी के दांत बने राज्य मॉडल स्कूल
यूं तो अंगरेजी माध्यम से बच्चों को प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा मॉडल स्कूल खोले गये हैं. झारखंड में सरकार द्वारा स्थापित मॉडल स्कूलों की व्यवस्था को देख कर तो ऐसा ही लगता है कि ये मॉडल स्कूल सिर्फ हाथी के दांत बन कर रह गये हैं. यहां बच्चों […]
यूं तो अंगरेजी माध्यम से बच्चों को प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा मॉडल स्कूल खोले गये हैं. झारखंड में सरकार द्वारा स्थापित मॉडल स्कूलों की व्यवस्था को देख कर तो ऐसा ही लगता है कि ये मॉडल स्कूल सिर्फ हाथी के दांत बन कर रह गये हैं.
यहां बच्चों को अंगरेजी माध्यम से शिक्षा देने के लायक न तो शिक्षकों का प्रबंध है और न ही यहां पर इस प्रकार की कोई उन्नत व्यवस्था की गयी है. इन मॉडल स्कूलों में अब तक तो छठी, सातवीं और आठवीं कक्षा की पढ़ाई की जाती थी, लेकिन इस साल से नौवीं कक्षा की भी पढ़ाई शुरू की गयी है.
इन स्कूलों में कक्षाएं तो बढ़ा दी गयी हैं, लेकिन सुविधाएं अब भी गौण हैं. स्थिति यह है कि इन स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चों को ढंग से पाठ्यक्रम में शामिल अंगरेजी की पुस्तकें भी उपलब्ध नहीं हैं.
संतोष साहू, लचरागढ़, सिमडेगा