थानों के सीमांकन में हो सुधार

झारखंड में नक्सल समस्या चरम पर है. अनेक कोशिशों के बावजूद सरकार इस पर काबू पाने में नाकाम साबित हो रही है. उग्रवादी अपनी योजना के मुताबिक अप्रिय घटनाओं को अंजाम देने में सफल साबित हो रहे हैं. यह राज्य सरकार की प्रशासनिक व्यवस्था की तकनीकी खामियों का ही नतीजा है, जो जनहित के लिए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 28, 2015 1:09 AM
झारखंड में नक्सल समस्या चरम पर है. अनेक कोशिशों के बावजूद सरकार इस पर काबू पाने में नाकाम साबित हो रही है. उग्रवादी अपनी योजना के मुताबिक अप्रिय घटनाओं को अंजाम देने में सफल साबित हो रहे हैं.
यह राज्य सरकार की प्रशासनिक व्यवस्था की तकनीकी खामियों का ही नतीजा है, जो जनहित के लिए नुकसानदेह है. पिछले दिनों केंद्र सरकार के द्वारा उग्रवाद प्रभावित राज्यों को नये थाने के निर्माण के लिए एक मोटी राशि देने की घोषणा की गयी है. यह सराहनीय कदम है, मगर उचित प्रतीत नहीं होता. यह नक्सलियों के विरुद्ध प्रतिशोध की भावना से लिया गया निर्णय लगता है.
ग्रामीण क्षेत्रों में नये थानों के निर्माण से राजकोषीय नुकसान तो होगा ही, नक्सल समस्या पर अंकुश लगने के बजाय और उग्र होने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता. इसलिए सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय तर्कसंगत नहीं है. चूंकि झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में पहले से ही कई थाने संचालित किये जा रहे हैं.
आवश्यकता इस बात की नहीं है कि झारखंड में नये खाते खोले जायें, जरूरत इस बात की है क्षेत्र सीमांकन में हुई गड़बड़ियों में सुधार लाकर पूर्ववत बने. थानों से काम लेनेवालों को सीमांकन पर जोर देना चाहिए. आम तौर पर क्षेत्र सीमांकन में लगे अधिकारियों को क्षेत्र विशेष की भौगोलिक जानकारी भी नहीं होती. प्रखंड अथवा जिले का सीमांकन बंद कमरे में बैठा हुआ आदमी करता है.
गोमिया प्रखंड के दर्जनों ऐसे पंचायत हैं, जो हजारीबाग के विष्णुगढ़ और रामगढ़ के मांडू प्रखंड से सटे हैं, लेकिन इन क्षेत्रों के लोगों को 50 किमी दूर गोमिया आना पड़ता है. यदि इन क्षेत्रों को हजारीबाग और रामगढ़ से जोड़ दिया जाये, लोगों को सुविधा होगी.
बैजनाथ प्रसाद महतो, हुरलुंग, बोकारो

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