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पक्ष-विपक्ष के दो पाटों में फंसी जनता
बिहार में चुनाव पूर्व रैली, वादों और भाषणों का दौर जारी है. राज्य के नेता जहां बिजली, पानी, सड़क, सुरक्षा और सुशासन को अपनी उपलब्धि के तौर पर बता रहे हैं, वहीं विपक्ष के लोग सरकार के पांच सालों के कामकाज की आलोचना करने में जुटे हैं. इस बीच जनता इस ऊहापोह में डूबी हुई […]
बिहार में चुनाव पूर्व रैली, वादों और भाषणों का दौर जारी है. राज्य के नेता जहां बिजली, पानी, सड़क, सुरक्षा और सुशासन को अपनी उपलब्धि के तौर पर बता रहे हैं, वहीं विपक्ष के लोग सरकार के पांच सालों के कामकाज की आलोचना करने में जुटे हैं. इस बीच जनता इस ऊहापोह में डूबी हुई है कि वह किसके पक्ष में आये? जनता को दोनों पक्षों पर संदेह है.
कोई खुद को खरा बता कर दूसरे को बेईमान बता रहा है, तो कोई अपने विरोधियों पर शब्दबाण छोड़ता नजर आता है.चुनाव के इस माहौल में केंद्र व राज्य की विभिन्न पार्टियों के प्रमुख चेहरे जनता को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि वे विधानसभा तक पहुंचने में कामयाब हो सकें. जनता की कामयाबी इसी में है कि वह खुद के अनुरूप प्रतिनिधियों का चयन करे, लेकिन यह तभी संभव है, जब जनता को अपना नेता चुनने का मौका निष्पक्षता से मिले.
अनुराग कुमार मिश्र, पटना
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