पंजाब में 27/7 से हम क्या सबक लें?
पुष्परंजन दिल्ली संपादक, ईयू-एशिया न्यूज यह ‘वेकअप कॉल’ यानी चेतावनी थी कि अब आप तैयार हो जाइए. यह संदेश पंजाब के लिए है, जहां आतंकवाद के जिन्न को बोतल से बाहर निकालने की चेष्टा की जा रही है. पच्चीस साल बाद इसकी वापसी हो रही है. 1990 में पंजाब में आतंकवाद को बोतल में बंद […]
पुष्परंजन
दिल्ली संपादक, ईयू-एशिया न्यूज
यह ‘वेकअप कॉल’ यानी चेतावनी थी कि अब आप तैयार हो जाइए. यह संदेश पंजाब के लिए है, जहां आतंकवाद के जिन्न को बोतल से बाहर निकालने की चेष्टा की जा रही है. पच्चीस साल बाद इसकी वापसी हो रही है.
1990 में पंजाब में आतंकवाद को बोतल में बंद करने के बाद हम निश्चिंत थे कि जिन्न उससे बाहर नहीं निकलेगा. गुरदासपुर के दीनानगर में यह एक छोटा सा ‘परीक्षण’ था कि पच्चीस साल बाद का पंजाब, आतंकियों के सफाये में कितना समय लेता है. आज का पंजाब, केपीएस गिल और जुलियो रिबेरो के दौर का पंजाब नहीं है. तीन आतंकियों को मार गिराने में बारह घंटे का समय लगता है, यदि ऐसे चार ठिकाने और होते तो क्या होता?
एक छोटे से हमले से पूरे देश में हड़कंप मच जाये, कश्मीर से कन्याकुमारी तक रेड अलर्ट हो जाये, नागपुर जेल जहां याकूब मेमन बंद है, में सुरक्षा घेरा मजबूत हो जाये, तो दहशतगर्दो को और क्या चाहिए? शुक्र मनाइए कि जो तीन आतंकी मारे गये हैं, उनमें से कोई भी सिख नहीं है.
शुक्र इसका भी मनाइए कि पंजाब पुलिस के वीर जवानों की शहादत कम-से-कम हुई है. क्योंकि बिना बुलेटप्रुफ जैकेट के ‘एसडब्ल्यूएटी’ (स्वात) के जवान जिस ‘बहादुरी’ से आतंकवादियों का मुकाबला कर रहे थे, संभवत: ‘कमांडो ऑपरेशन’ इसकी इजाजत नहीं देता. पाक डिफेंस की एक साइट पर इसका ब्योरा है कि मार्च 2010 में इजराइली पुलिस ने तीन प्रशिक्षक ‘स्वात’ को कमांडो ट्रेनिंग के लिए पंजाब भेजे थे. मतलब, पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियां ‘स्वात’ की ट्रेनिंग को मॉनिटर कर रही थीं. संयोग है कि दीनानगर थाने के हमलावरों को मार गिराने का जिम्मा ‘स्वात’ कमांडो को दिया गया था.
तमाम तसवीरों, वीडियो रिकार्डिग में ‘स्वात’ के जवान काले टी-शर्ट और सिर पर काले साफे में ‘जो बोले सो निहाल के नारे लगाते’ नजर आ रहे हैं. पंजाब पुलिस के कुछ सुरक्षाकर्मी गोलियों के जवाब में पत्थर फेंकते देखे गये. उससे दूसरे चरण की घेराबंदी सेना की थी, जिन्हें केंद्र के आदेश का इंतजार था. इस फतह में बारह घंटे चूहे-बिल्ली का खेल क्यों हुआ? इसकी विवेचना तो की जानी चाहिए.
समीक्षा इसकी भी की जानी चाहिए कि क्या वाकई ‘इंटेलिजेंस फेल्योर’ (खुफिया सूचनानओं में चूक) हुई है? मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल कहते हैं कि 21 जुलाई को पंजाब पुलिस की खुफिया शाखा ने संदेश भेजा था कि जम्मू के सांबा सेक्टर से कुछ आतंकी गुरदासपुर में घुसपैठ कर सकते हैं, और बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं.
प्रकाश सिंह बादल को खुन्नस इस बात का है कि केंद्र सरकार ने इस सूचना के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की. पंजाब में सत्तारूढ़ अकाली दल केंद्र में भाजपा सरकार की सहयोगी पार्टी है, ऐसे में आतंक से छलनी इस सूबे के मुख्यमंत्री के बयान में कई मतलब छिपे हैं. पंजाब पुलिस की खुफिया शाखा के अधिकारी पूरे विश्वास से कहते हैं कि इसकी सूचना बीएसएफ को दे दी गयी थी.
यदि यह सही है, तो फिर इसे ‘इंटेलिजेंस फेल्योर’ क्यों कहा जा रहा है? यह ‘इंटेलिजेंस फेल्योर’ नहीं, ‘कोऑर्डिनेशन फेल्योर’ है! देश की सुरक्षा का जिम्मा जिन-जिन एजेंसियों के पास है, उनमें आपसी तालमेल नहीं है, अफसरों में ‘इगो’ की लड़ाई है, यही 27/7 का सच है. ऐसे ही तालमेल का अभाव सत्ता और विपक्ष के नेताओं में है. जो आतंकी हमला करते हैं, वे कांग्रेस, भाजपा, सपा या लेफ्ट को मारने आ रहे हैं, ऐसा नहीं सोचते. उनका मकसद भारत पर हमला करना होता है. ऐसे संकट के समय, ‘ठीकरा फोड़ो कार्यक्रम’ से क्यों नहीं बचा जा सकता?
सीमा पार के षड्यंत्रकारियों ने हमलावरों की पहचान छिपाने के पुख्ता इंतजाम किये हैं. शायद इस वजह से सरकार को सुनिश्चित करने में समय लगा है कि ये दहशतगर्द किस गुट से थे.
कहां से चले थे, और इनसे जुड़े बाकी आतंकी कहां दुबके हुए हैं. ये आतंकी लश्कर-ए-तैयबा से हैं, आइएसआइ द्वारा भेजे गये हैं, या किसी ‘स्लीपर सेल’ से जुड़े हंै, जो सालों बाद कार्रवाई को अंजाम देते हैं, इसे सुनिश्चित करने में समय लग रहा है. उनके कब्जे से जीपीएस, तीन एके-47 राइफलें, दस मैगजीन, और सबसे दीगर ‘चीनी हथगोले’ मिले. उसके बिना पर यदि हम यह कह दें कि इसमें चीन का हाथ है, तो जल्दबाजी होगी.
जीपीएस सिस्टम एक ऐसा जरिया है, जिसके रिकॉर्ड को देखने पर शायद पता चले कि ये तीनों कहां से चले थे. या जिस दीनानगर थाने से सटे मकान में ये घुसे थे, उसकी क्या इन तीनों में से किसी ने पहले से ‘रेकी’ की थी, ऐसे तमाम सवाल सबके सामने हैं. केपीएस गिल एक टीवी पर बयान दे रहे थे कि इसमें आइएस (इस्लामिक स्टेट) के आतंकियों का हाथ है.
सवाल है कि केपीएस गिल ने किस आधार पर ऐसा बयान दिया था? इससे भी जरूरी यह पता करना है कि पंजाब की नयी पीढ़ी को गुमराह करने के लिए पाकिस्तान क्या कर रहा है.
यों, पाकिस्तानी विदेश मंत्रलय ने गुरदासपुर आतंकी वारदात की मजम्मत कर अपनी खाल बचायी है. लेकिन पाकिस्तान ने जिस तरह उफा में किये संकल्पों के विरुद्ध काम करना शुरू किया है, वह बिल्कुल भरोसे के लायक नहीं है. पाकिस्तान हर ऐसी कायराना हरकतों के बाद डरता है कि भारत ‘एबटाबाद’ जैसी कोई कार्रवाई न कर दे. ऐसे में वह एक ही बात का हुल देता है कि हमारे पास परमाणु हथियार है.
भारत को चाहिए कि पाकिस्तान की परमाणु धमकियों का कालक्रम तैयार करे, उसे संयुक्त राष्ट्र में भेजे, और ऐसे गैर-जिम्मेवार देश को परमाणु अस्त्र विहीन किये जाने का अभियान छेड़े.
भारत का दूसरा पड़ोसी, और चिर प्रतिस्पर्धी चीन के पास भी परमाणु हथियार है, लेकिन चीनी नेतृत्व ने शायद ही कभी ऐसी धमकी दी हो. लेकिन पाकिस्तान बात-बात पर परमाणु धमकी देता रहा है.
इस गीदड़भभकी से डरने की बिल्कुल जरूरत नहीं है. भारत, ‘मिसाइल डिफेंस सिस्टम’ का पहला चरण 2012 में ही पूरा कर चुका है. अमेरिका, रूस, फ्रांस, भारत और इजराइल, ये दुनिया के पांच देश हैं, जिनके पास मिसाइल हमले को नाकाम करने के लिए सुरक्षा कवच है.
भारत तुरंत-फुरंत दिल्ली और मुंबई को ‘मिसाइल डिफेंस सिस्टम’ से लैस कर सकता है. हमें जितनी जल्दी हो, देश के बाकी हिस्सों को मिसाइल हमले से महफूज करने का काम पूरा कर लेना चाहिए. तभी हम निडर होकर पाकिस्तान को वैसा ही जवाब दे सकते हैं, जैसा कि आतंकी हमले के विरुद्ध इजराइल देता है!