वीआइपी को मिल रहा विशेष फायदा
कहने को तो भारत लोकतांत्रिक देश है. देश का हर नागरिक बराबर है, किंतु जमीनी हकीकत किसी से छिपी नहीं है. पवन के वर्मा जी ने अपने आलेख ‘आस्था और प्रशासनिक रवैया’ में वीआइपी कल्चर और उनसे जुड़ी समस्याओं की गहरी पड़ताल की है. वीआइपी की सुरक्षा प्रशासन का दायित्व है, किंतु यह आम जनता […]
कहने को तो भारत लोकतांत्रिक देश है. देश का हर नागरिक बराबर है, किंतु जमीनी हकीकत किसी से छिपी नहीं है. पवन के वर्मा जी ने अपने आलेख ‘आस्था और प्रशासनिक रवैया’ में वीआइपी कल्चर और उनसे जुड़ी समस्याओं की गहरी पड़ताल की है. वीआइपी की सुरक्षा प्रशासन का दायित्व है, किंतु यह आम जनता की जिंदगी की कीमत पर नहीं होना चाहिए.
गोदावरी महापुष्करम के दौरान जिस घाट पर मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने अपने निजी स्नान के कारण घाट को घंटे भर तक व्यस्त रखा. उसी घाट पर देरी के कारण बेकाबू भीड़ से भगदड़ मच गयी और 29 लोग काल-कवलित हो गये. वीआइपी कल्चर ने 29 लोगों को असमय में ही जान ले ली.
वास्तव में जिस लोकतंत्र की बात होती है, वह सिर्फ कागजों व भाषणों तक सीमित है. इसका विशेष फायदा तो वीआइपी को मिल रहा है.
नीतीश कुमार निशांत, रांची