स्वार्थ के आगे छोटा हो गया इनसान

आज इनसान का कोई महत्व नहीं रह गया है. रांची में आये दिन बड़े-बड़े साधु-संन्यासियों व उपदेशकों द्वारा एक ही बात बार-बार दोहरायी जाती है कि दोस्त हो तो कृष्ण-सुदामा जैसा हो. कहनेवाले उपदेश देकर चले जाते हैं, लेकिन उनके कथन पर कितने लोग अमल करते हैं. लोग पंडालों में बैठ कर उपदेश सुनते हैं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 31, 2015 2:57 AM
आज इनसान का कोई महत्व नहीं रह गया है. रांची में आये दिन बड़े-बड़े साधु-संन्यासियों व उपदेशकों द्वारा एक ही बात बार-बार दोहरायी जाती है कि दोस्त हो तो कृष्ण-सुदामा जैसा हो. कहनेवाले उपदेश देकर चले जाते हैं, लेकिन उनके कथन पर कितने लोग अमल करते हैं.
लोग पंडालों में बैठ कर उपदेश सुनते हैं और बाहर निकलते ही दूसरे कान से उसे वहीं छोड़ देते हैं. आज के परिप्रेक्ष्य में देखा जाये, तो दोस्ती करनेवाले हजारों होते हैं, लेकिन बिरले ही होते हैं, जो कृष्ण और सुदामा जैसी दोस्ती को निभाते हैं. इसका साफ कारण है कि आज की तारीख में इनसान का कोई महत्व ही नहीं रह गया है.
लोग स्वार्थ में इतने अंधे हो गये हैं कि गरीब दोस्त को कोई गले लगाना ही नहीं चाहता है. आदमी का महत्व कम रह गया है और पैसों की अहमियत बढ़ गयी है. इसीलिए इनसान छोटा हो गया.
किशन अग्रवाल, रांची

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