चले ‘मलेरिया मुक्त भारत’ का अभियान

शंभूनाथ शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार लोग बस संकीर्ण सोच में डूबते-उतराते रहते हैं, जबकि देश में असल समस्या औसत भारतीयों के स्वास्थ्य को लेकर है. बड़े-बड़े डॉक्टर तथा योगाचार्य मधुमेह, रक्तचाप, हृदयाघात और कैंसर तथा यकृत की बीमारियों का इलाज तलाश लेने का दावा करते हैं, पर क्या आप लोगों को पता है कि आज भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 3, 2015 8:22 AM

शंभूनाथ शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार

लोग बस संकीर्ण सोच में डूबते-उतराते रहते हैं, जबकि देश में असल समस्या औसत भारतीयों के स्वास्थ्य को लेकर है. बड़े-बड़े डॉक्टर तथा योगाचार्य मधुमेह, रक्तचाप, हृदयाघात और कैंसर तथा यकृत की बीमारियों का इलाज तलाश लेने का दावा करते हैं, पर क्या आप लोगों को पता है कि आज भी भारत में सबसे अधिक मौतें मलेरिया से होती हैं. यह विश्व की जानीमानी मेडिकल जरनल का आंकड़ा है. दरअसल, मलेरिया का वीषाणु पकड़ में नहीं आता. इसलिए मौत की वजह बतायी जाती है हार्ट फेल्योर या बीपी का शूटआउट कर जाना. शुगर का अचानक बढ़ जाना या पेट फूलना और शरीर का पीला पड़ते-पड़ते पीलिया की चपेट में आ जाना.

सरकार को सरकारी अस्पतालों में मलेरिया विंग को सबसे मजबूत करना चाहिए और हरेक के लिए इसकी जांच फ्री करनी चाहिए तथा एक कानून पास करना चाहिए कि बुखार आते ही पहले सरकारी अस्पताल में सीवीएस, विडाल और एमपी चेक कराएं. इसके बाद ही कोई एंटी बायोटिक्स का सेवन करें, नहीं तो यह एमपी यानी मलेरिया पैरासाइट आपके लीवर में छिप कर बैठ जायेगा, फिर इसका पकड़ा जाना मुश्किल है. इसलिए इसको पकड़ने के लिए मलेरिया इंस्पेक्टरों को घर-घर जाकर चौकसी करने का कानून बनना चाहिए.

आमतौर पर प्राइवेट पैथलैब की मलेरिया टेस्टिंग में कोई रुचि नहीं होती. एक तो कुल तीन पैसे में हो जानेवाले इस टेस्ट में न तो पैथलैब को कमाई होती है, न आपके सलाहकार चिकित्सक को कोई कमीशन मिल पाता है. इसलिए प्राइवेट लैब अकसर मलेरिया को टायफायड बता देती हैं और टायफायड का इलाज मलेरिया का ठीक उलटा है. आप एंटीबायोटिक्स दवाएं खाते रहेंगे और मलेरिया का पैरासाइट आपके पेट में छिप कर आपका लीवर कुतरता रहेगा.

आज देश में बड़ी स्वास्थ्य समस्या मलेरिया की है. मलेरिया पैरासाइट पर नियंत्रण कर लिया, तो काफी हद तक बीमारियां दूर हो जायेंगी. इसलिए मलेरिया मुक्त भारत अभियान बहुत जरूरी है. पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने मलेरिया पर काबू पाया था. उस समय मलेरिया इंस्पेक्टर घर-घर आकर लाल खड़िया से आपके घर की पहचान दिखाता था कि घर में कितने लोगों को मलेरिया का टीका लग चुका है. पर स्वास्थ्य सेवाओं को धंधा बना देने से सब ध्वस्त हो गया.

अगर आपको मलेरिया या कोई भी वायरल हो गया हो, तो किसी भी प्राइवेट पैथोलॉजी में टेस्ट न कराएं. किसी डॉक्टर से दवा लेने से पहले उससे अनुरोध करें कि आप मेरे ब्लड की स्लाइड बना दें. इसके बाद ही कोई बुखार खत्म करनेवाली दवा अथवा एंटीबायोटिक्स ग्रहण करें. फिर आप अपनी यह ब्लड स्लाइड किसी सरकारी चिकित्सालय अथवा मलेरिया निरोधक केंद्र में भेजें. सीएमओ के पास मलेरिया विंग होता है और उसे यह ब्लड स्लाइड चेक करनी ही पड़ेगी. मलेरिया की दवा किसी प्राइवेट डॉक्टर की सलाह पर लेने के बजाय किसी सरकारी डॉक्टर अथवा मलेरिया डॉक्टर या मलेरिया इंस्पेक्टर की सलाह पर ही लें. अब स्वस्थ रहने का यह नुस्खा मानें तो सही, न मानें तो भुगतें.

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