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चिंताजनक स्थिति

महात्मा गांधी का मानना था कि अगर अहिंसा हमारी नीति है, तो हमारा भविष्य स्त्रियों के साथ ही है. लेकिन आजादी मिलने के दशकों बाद भी अनेक कानूनों तथा कोशिशों के बावजूद हमारे देश में हिंसा की घटनाएं बढ़ती ही रही हैं. यह और भी अफसोसनाक है कि हिंसा की शिकार अधिकतर महिलाएं और बच्चे […]

महात्मा गांधी का मानना था कि अगर अहिंसा हमारी नीति है, तो हमारा भविष्य स्त्रियों के साथ ही है. लेकिन आजादी मिलने के दशकों बाद भी अनेक कानूनों तथा कोशिशों के बावजूद हमारे देश में हिंसा की घटनाएं बढ़ती ही रही हैं. यह और भी अफसोसनाक है कि हिंसा की शिकार अधिकतर महिलाएं और बच्चे ही होते हैं. महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी द्वारा शुक्र वार को लोकसभा में बताये गये आंकड़ों से यह बात फिर रेखांकित होती है.

इन सूचनाओं के अनुसार, इस वर्ष अप्रैल से जून तक महिलाओं के विरु द्ध हिंसा और अत्याचार के 9,786 मामले राष्ट्रीय महिला आयोग के सामने आये हैं. इन अपराधों में घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न, रेप, यौन शोषण जैसे मामले शामिल हैं. अपराधों के मामले में सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश अव्वल रहा जहां 6,110 घटनाएं हुई, जबकि दूसरे स्थान पर दिल्ली रही. दिल्ली में 1,179 मामले सामने आये. इसके बाद हरियाणा (504), राजस्थान (447) और बिहार (256) का स्थान है. आयोग ने वर्ष 2012-13 में 16,584, 2013-14 में 22,422, तथा 2014-15 में 32,118 ऐसे मामले दर्ज किये थे. मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में यानी अप्रैल से जून के बीच बच्चों के विरुद्ध हिंसा के 2,270 मामले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के समक्ष आये हैं. वर्ष 2012-13 में यह संख्या 2,404, 2013-14 में 3,281 तथा 2014-15 में 3,340 रही थी.

वर्ष 2012 से 2014 तक देश में 24,471 दहेज हत्याएं हुई थीं जिनमें सबसे अधिक उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में दर्ज की गयी थीं. इन्हीं तीन वर्षों में पतियों या उनके संबंधियों द्वारा मारपीट और अन्य घरेलू अत्याचारों के 3.48 लाख मामले सामने आये थे. ऐसी घटनाएं सबसे अधिक पश्चिम बंगाल, राजस्थान और आंध्र प्रदेश में घटित हुई. ये आंकड़े इस बात को बयान करते हैं कि देश में महिलाओं तथा बच्चों से संबंधित विभिन्न योजनाओं की बहुतायत के बावजूद उनके विरु द्ध हिंसा और अत्याचार की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं.

मेनका गांधी ने वस्तुस्थिति पर गंभीर चिंता जताते हुए सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयत्नों की चर्चा की है और सदन को आश्वस्त किया है कि सरकार महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा और सम्मान के प्रति कृतसंकल्प है. हमें उम्मीद है कि सरकार इस संबंध में पूरी लगन से काम करेगी. परंतु, यह भी समझा जाना चाहिए कि ये अपराध परिवार और समाज के भीतर घटित होते हैं, इसलिए इन्हें रोकने की जिम्मेवारी हम सबकी है.

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