शिक्षा पर विशेष ध्यान दें पारा शिक्षक
बीते एक अक्तूबर को पाठक मत में छपे मेरे पत्र ‘शिक्षा पर ध्यान दें पारा शिक्षक’ की प्रतिक्रि या में देवव्रत पोद्दार जी का पत्र ‘दस सालों में शिक्षा क्षेत्र भी बहुत बदला है’, में पारा शिक्षकों के प्रति मेरे पूर्वाग्रह की बातें लिखी गयी हैं कि पिछले दस सालों से प्राथमिक शिक्षा की नींव […]
बीते एक अक्तूबर को पाठक मत में छपे मेरे पत्र ‘शिक्षा पर ध्यान दें पारा शिक्षक’ की प्रतिक्रि या में देवव्रत पोद्दार जी का पत्र ‘दस सालों में शिक्षा क्षेत्र भी बहुत बदला है’, में पारा शिक्षकों के प्रति मेरे पूर्वाग्रह की बातें लिखी गयी हैं कि पिछले दस सालों से प्राथमिक शिक्षा की नींव पारा शिक्षकों के बलबूते ही मजबूत हुई है.
मैं इस कथन से पूरी तरह सहमत नहीं हूं. अपवादों को छोड़ कर लगभग 85 प्रतिशत से भी अधिक बच्चों में गुणात्मक शिक्षा नहीं है, तो नींव मजबूत होने की बात कहां से आयी? हां, हम यह कह सकते हैं कि शिक्षा में कुछ सुधार आया है. नींव मजबूती की बात करना खुद को अंधेरे में रखने जैसा है. यदि शिक्षक 200 दिन भी बच्चों के भविष्य के प्रति संवेदनशील होकर मन से विधिपूर्वक काम करें तो कोई वजह नहीं कि बच्चों में गुणात्मक विकास का स्तर बेहतर नहीं होगा.
मोहम्मद सलीम, बरकाकाना