कड़े संदेश जरूरी
उधमपुर में भारतीय सुरक्षाकर्मियों पर हमले के बाद जिंदा पकड़े गये पाकिस्तानी आतंकी नावेद उर्फ कासिम उर्फ उस्मान के फैसलाबाद निवासी पिता ने पुष्टि कर दी है कि वह उसका बेटा है. नावेद के पिता ने यह भी बताया है कि लश्कर-ए-तैयबा ने कुछ अन्य आतंकियों के साथ उसके बेटे को भारत में हिंसात्मक गतिविधियों […]
उधमपुर में भारतीय सुरक्षाकर्मियों पर हमले के बाद जिंदा पकड़े गये पाकिस्तानी आतंकी नावेद उर्फ कासिम उर्फ उस्मान के फैसलाबाद निवासी पिता ने पुष्टि कर दी है कि वह उसका बेटा है.
नावेद के पिता ने यह भी बताया है कि लश्कर-ए-तैयबा ने कुछ अन्य आतंकियों के साथ उसके बेटे को भारत में हिंसात्मक गतिविधियों के लिए भेजा था. लेकिन, दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि एक पिता की इस स्वीकारोक्ति के बावजूद पाकिस्तान सरकार यह मानने के लिए तैयार नहीं है कि जीवित पकड़ा गया आतंकी पाकिस्तान का नागरिक है. मुंबई हमले के आरोपी कसाब और उसके साथियों के बारे में भी पाकिस्तान का यही रवैया रहा था.
भारत द्वारा मुंबई हमले से संबंधित विस्तृत दस्तावेज और सबूत पेश करने के बाद पाकिस्तान के सामने कोई बहाना नहीं रह गया था. क्या पाकिस्तान कसाब की तरह ही अब कासिम के बारे में भी अकाट्य सबूतों की फाइल का इंतजार कर रहा है? भारत के खिलाफ आतंक को शह देने की पाकिस्तान की दशकों पुरानी नीति अब भी बदस्तूर जारी है. एक पखवाड़े में हुए तीन बड़े आतंकवादी हमलों से यह बात सिद्ध होती है.
पाकिस्तान द्वारा समर्थित और प्रशिक्षित आतंकियों ने सैकड़ों लोगों का खून बहाया है और अस्थिरता पैदा करने के षडय़ंत्र रचे हैं. मुंबई में 1993 और 2008 में हुए हमलों के जिम्मेवार पाकिस्तान में खुलेआम भारत के विरुद्ध भड़काऊ बयान देते रहते हैं. हाफिज सईद, जकीउर रहमान लखवी, मौलाना मसूद अजहर, दाऊद इब्राहिम, टाइगर मेमन जैसे अनेक नाम हैं, जिन्हें पाकिस्तानी सेना, इंटेलिजेंस एजेंसियों और विभिन्न राजनीतिक दलों का संरक्षण मिला हुआ है.
अलगाववादी और चरमपंथी गुटों को मिलनेवाली पाकिस्तानी मदद के अकाट्य सबूत हैं. दक्षिण एशिया समेत कई देशों में दहशतगर्दी को पाक खुफिया एजेंसी द्वारा संचालित किया जाता रहा है.
अलकायदा का मुखिया ओसामा बिन लादेन और तालिबान का प्रमुख मुल्ला उमर पाकिस्तान में ही मारे गये हैं. पाकिस्तानी सरकार और समाज को अब यह बात अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए कि भारत को लहू-लुहान करने की उसकी कवायद उसे भी तबाही की ओर ले जा रही है.
भारत को भी पाकिस्तान-संबंधी रणनीति एवं कूटनीति पर नये सिरे से गौर करना चाहिए. अपनी जमीन पर लगातार हो रहे हमलों और सीमा पार से फायरिंग की पृष्ठभूमि में शांति व सहभागिता की वार्ताएं कारगर नहीं हो सकती हैं. जरूरी है कि सरकार पाकिस्तान की खतरनाक शरारतों का कठोरता से जवाब दे.