निज संस्कृति अपनाने का लें संकल्प

आजादी के 67 साल बाद भी हम भारतवासी पाश्चात्य संस्कृति से मुक्त नहीं हो पाये हैं. हमारे बाद या हमारे पहले अंगरेजों की दासता से आजाद होनेवाले मुल्क के लोगों ने अपनी अस्मिता और संस्कृति को अपनाने में देर नहीं की, लेकिन हम अब भी उनसे कहीं ज्यादा पीछे हैं. हमारे द्वारा ऐसा करना न्यायोचित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 11, 2015 11:46 PM
आजादी के 67 साल बाद भी हम भारतवासी पाश्चात्य संस्कृति से मुक्त नहीं हो पाये हैं. हमारे बाद या हमारे पहले अंगरेजों की दासता से आजाद होनेवाले मुल्क के लोगों ने अपनी अस्मिता और संस्कृति को अपनाने में देर नहीं की, लेकिन हम अब भी उनसे कहीं ज्यादा पीछे हैं.
हमारे द्वारा ऐसा करना न्यायोचित नहीं है. आम तौर पर हम अपने सामाजिक परिवेश में जब अंगरेजों की छोड़ी विरासत को अपनाते हुए देखते हैं, तो आश्चर्य होता है कि लोग जिंदा पिता को डेड कहना सिखाते हैं.
अभिभावक भी सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों पढ़ाने के बजाय अंगरेजी माध्यम के निजी स्कूलों में डालते हैं. हमारा यही कार्यकलाप हमें अपनी संस्कृति से दूर करता है. यदि हमें अपनी संस्कृति और संस्कार को बचाना है, तो आजादी के दिन निज संस्कृति को अपनाने का संकल्प लेना होगा.
परमेश्वर झा, दुमका

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