अपने ही तीर से भेदना होगा लक्ष्य

किसी भी राष्ट्र के नागरिक ही उसकी संरचना, समृद्धि, सुंदरता और सुरक्षा के प्रमुख घटक होते हैं. इन्हीं से सभी प्रकार की संवेदनाएं तथा प्रवृत्तियां बनती हैं. इनसे ही समाज, सत्ता व सरकार हस्तांतरित होती है. कुछ लोग अपनी अकर्मण्यता, अयोग्यता, अज्ञानता, उदासीनता और स्वार्थपरता से अभिभूत होकर स्वनिर्मित या स्वपोषित विसंगतियों व विकृतियों का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 11, 2015 11:46 PM
किसी भी राष्ट्र के नागरिक ही उसकी संरचना, समृद्धि, सुंदरता और सुरक्षा के प्रमुख घटक होते हैं. इन्हीं से सभी प्रकार की संवेदनाएं तथा प्रवृत्तियां बनती हैं. इनसे ही समाज, सत्ता व सरकार हस्तांतरित होती है.
कुछ लोग अपनी अकर्मण्यता, अयोग्यता, अज्ञानता, उदासीनता और स्वार्थपरता से अभिभूत होकर स्वनिर्मित या स्वपोषित विसंगतियों व विकृतियों का दोष शासन-प्रशासन व दूसरों पर थोप कर निर्लिप्त बने रहने की असंगत प्रवृत्ति का त्याग नहीं कर पाते हैं.
ऐसे लोग यह नहीं समझ पाते कि लोकतंत्र में प्राप्त आजादी सहित अन्य अधिकारों की सीमा का अतिक्रमण मात्र एक शाब्दिक क्रांतियों, नपुंसक क्रंदन या दोषारोपण से देश का भला नहीं हो सकता. सरकार या कोई संस्था समस्याओं के निदान के लिए केवल एक मंच ही उपलब्ध कराते हैं. अत: लक्ष्य भेदन हमें अपने ही तीर से करना है.
अविनाश चंद्र श्रीवास्तव, हजारीबाग

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