विश्व समुदाय को आतंकवादी चुनौती

आतंकवाद दुनिया के लिए खतरा और चुनौती दोनों है. इस चुनौती से निपटने के लिए विश्व के देशों को एक ठोस और कारगर कदम उठाने होंगे. बशर्ते कि प्रभावित देशों में एकता कायम हो. अन्यथा आतंकियों का मनोबल कभी नहीं टूटेगा और न ही कोई अकेला राष्ट्र इसका मुकाबला कर सकता है. इसलिए विश्व के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 11, 2015 11:47 PM
आतंकवाद दुनिया के लिए खतरा और चुनौती दोनों है. इस चुनौती से निपटने के लिए विश्व के देशों को एक ठोस और कारगर कदम उठाने होंगे. बशर्ते कि प्रभावित देशों में एकता कायम हो. अन्यथा आतंकियों का मनोबल कभी नहीं टूटेगा और न ही कोई अकेला राष्ट्र इसका मुकाबला कर सकता है. इसलिए विश्व के शासकों को इस मसले पर एक ठोस निर्णय लेने की जरूरत है.
जो आतंकवाद के विरोधी हैं, वैसे देशों को भी सतर्क हो जाना चाहिए और जो बढ़ावा दे रहे हैं, उन्हें तो और भी अधिक चौकसी बरतने की जरूरत है. यदि वे इसे बढ़ावा देना बंद नहीं करते हैं, तो एक दिन वे खुद ही इसकी लपटों में झुलसते हुए नजर आयेंगे. चूंकि आतंकियों को किसी जाति, धर्म, संप्रदाय से मतलब नहीं है.
इनका मात्र एक ही लक्ष्य है मानव और मानवनिर्मित संसाधनों को नष्ट करना. इन्हें मानवता से कोई सरोकार नहीं है. अगर इसे दूसरे शब्दों में कहें, तो अनुचित नहीं होगा कि अधर्म धर्म को ललकार रहा है.
प्राचीन काल में हुए राक्षसों और देवताओं के बीच के युद्ध का वर्णन कई धर्म ग्रंथों और महाकाव्यों में है. पौराणिक कथाओं में वर्णित देव-दानवों के युद्ध की स्थिति इस कलियुग में भी देखने को मिल रही है.
यहां जरूरत इस बात की नहीं है कि आरोप-प्रत्यारोप दो पड़ोसी हो कि आतंकी उस पार के हैं, बल्कि जरूरत इस बात की है कि दोनों पड़ोसी मुल्कों को इसके खात्मे के लिए गहना से विचार करना होगा. मानवता की रक्षा के लिए ठोस निदान ढूंढ़ना ही होगा.
विश्व समुदाय को इस बात पर भी विचार करना होगा कि कहीं आतंकी संगठन परमाणु संपन्न राष्ट्र के परमाणु संयंत्रों पर कब्जा न कर लें. इसके लिए सभी राष्ट्रों को बिना भेदभाव के एकजुट होना होगा.
बैजनाथ प्रसाद महतो, हुरलुंग, बोकारो

Next Article

Exit mobile version