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महज रस्म अदायगी का पर्व नहीं है यह

आज भारत को अंगरेजों की दासता से मुक्त कराये हुए 68 साल हो गये हैं. करीब इन सात दशकों में देश ने फर्श से अर्श तक का रास्ता भी तय किया है, भले ही यह रास्ता चुनौतियों से भरा क्यों न रहा हो. गुलामी के वक्त हमारी सोने की चिड़िया संसाधनहीनता का शिकार हो गयी […]

आज भारत को अंगरेजों की दासता से मुक्त कराये हुए 68 साल हो गये हैं. करीब इन सात दशकों में देश ने फर्श से अर्श तक का रास्ता भी तय किया है, भले ही यह रास्ता चुनौतियों से भरा क्यों न रहा हो.
गुलामी के वक्त हमारी सोने की चिड़िया संसाधनहीनता का शिकार हो गयी थी. लोगों की बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही थीं. छोटी से छोटी चीजों के लिए हमें दूसरों का मुंह ताकना पड़ता था. आज हम कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भर होने की स्थिति में पहुंच गये हैं. ऐसा हमारी दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण हुआ है.
ईश्वर प्रदत्त दो बाजुओं की ताकत को पेट की भूख मिटाने के साथ ही देश को मजबूत करने में भी इस्तेमाल किया है. इसी का परिणाम है कि आज हम दुनिया के शक्तिशाली देशों को टक्कर देने की स्थिति में हैं. इस लिहाज से देखेंगे, तो आज का दिन सिर्फ रस्म अदायगी का ही दिन नहीं है.
राजीव जैन, ई-मेल से

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