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नेता जी का रहस्य कब सुलङोगा ?

वर्ष 1947 में देश आजाद हो गया. भारत ने ब्रिटिश दासता से मुक्ति पायी, किंतु देश पर अपना जान न्योछावर करनेवाले महापुरुषों को वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे. स्वतंत्रता प्राप्ति के 68 वर्ष बीत जाने के बाद भी हम नेता जी सुभाषचंद्र बोस के रहस्य को नही सुलझा पाये. अपने जीवन के […]

वर्ष 1947 में देश आजाद हो गया. भारत ने ब्रिटिश दासता से मुक्ति पायी, किंतु देश पर अपना जान न्योछावर करनेवाले महापुरुषों को वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे.
स्वतंत्रता प्राप्ति के 68 वर्ष बीत जाने के बाद भी हम नेता जी सुभाषचंद्र बोस के रहस्य को नही सुलझा पाये. अपने जीवन के अंतिम क्षणों में वे कहां थे, क्या कर रहे थे और उनकी कैसे मृत्यु हुई? यह इतिहास की अनसुलझी गुत्थी आज भी बनी हुई है. कांग्रेस की सरकार ने इस रहस्य को उजागर होने नहीं दिया. वहीं, वर्तमान सरकार भी नेताजी के प्रति उदासीन रवैया बनाये हुई है.
‘तुम मुङो खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा’, नेता जी के इस एक वाक्य ने युवाओं को देशप्रेम से जोड़ रखा है. आजाद हिंद फौज के संस्थापक नेता जी ने अंग्रेजी सरकार से संघर्ष किया. कई बार जेल गये और यातना सही. क्या उनके संघर्ष का यही सिला है?
चंद्रशेखर कुमार, खलारी, रांची

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