हमारी सुध भी लेगा कोई?
झारखंड बने 14 वर्ष बीत चुके हैं, पर राज्य के मूलवासी आज भी उपेक्षित हैं. झारखंड राज्य के निर्माण में मूलवासियों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता. अलग झारखंड राज्य के लिए यहां के मूलवासियों ने बहुत लंबी लड़ाइयां लड़ीं, बहुत संघर्ष किये, न जाने कितनों ने बलिदान दिया, पर आज अपने ही राज्य […]
झारखंड बने 14 वर्ष बीत चुके हैं, पर राज्य के मूलवासी आज भी उपेक्षित हैं. झारखंड राज्य के निर्माण में मूलवासियों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता. अलग झारखंड राज्य के लिए यहां के मूलवासियों ने बहुत लंबी लड़ाइयां लड़ीं, बहुत संघर्ष किये, न जाने कितनों ने बलिदान दिया, पर आज अपने ही राज्य में मूलवासी किनारे कर दिये गये हैं.
आज तक जितनी भी सरकारें बनीं, सबने यहां के मूलवासियों के साथ धोखा किया. आज हजारों की संख्या में शिक्षित मूलवासी युवा बेरोजगार हैं.
दिनानुदिन मूलवासियों की हालत बद से बदतर होती जा रही है. अगर ऐसा ही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब झारखंड से मूलवासियों का अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा. आखिर कब झारखंड की सरकार यहां के मूलवासियों की सुध लेगी? आखिर कब मिलेगा उन्हें न्याय?
नरेश महतो, ई-मेल से