सरकारी स्कूलों की दशा बेहद दयनीय

सरकारी स्कूलों की लचर व्यवस्था, पठन-पाठन आदि पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जो कहा है, वह सिर्फ उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों के लिए ही नहीं, वरन् कोर्ट के इस आदेश ने देश के अधिकांश राज्यों के सरकारी स्कूलों की पोल खोल दी है.हमारा झारखंड भी उन राज्यों में से एक है, जहां सरकारी स्कूलों की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 25, 2015 11:31 PM
सरकारी स्कूलों की लचर व्यवस्था, पठन-पाठन आदि पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जो कहा है, वह सिर्फ उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों के लिए ही नहीं, वरन् कोर्ट के इस आदेश ने देश के अधिकांश राज्यों के सरकारी स्कूलों की पोल खोल दी है.हमारा झारखंड भी उन राज्यों में से एक है, जहां सरकारी स्कूलों की दशा दयनीय है.
आज हमारे नेता-अफसर का रुझान पब्लिक स्कूल की तरफ है. वे अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों के बजाय पब्लिक स्कूलों में पढ़ाते हैं. सरकारी स्कूलों में हमेशा संसाधनो का अभाव रहता है.
न टॉयलेट की उचित व्यवस्था, न पेयजल और न ही पठन-पाठन आदि. वेतन की बात करें, तो पब्लिक स्कूलों की अपेक्षा सरकारी स्कूलों के मास्टर साहब को कहीं ज्यादा मिलता है. फिर भी यहां की पढ़ाई की गुणवत्ता काफी निम्न है.
मो अली शानी, धंगरटोली, चतरा

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