नौकरशाहों के लिए यह भी जरूरी हो

यदि नेता और नौकरशाहों के लिए भी सरकारी स्कूल, अस्पताल और परिवहन आदि का इस्तेमाल जरूरी कर दिया जाये, तो निश्चित ही इनमें उल्लेखनीय सुधार होगा. मगर इस व्यवस्था में यह संभव नहीं है. आज मानव महज पैसे के पीछे पागल है. वह लक्ष्मी का अंधभक्त है और उसी को ही सब कुछ मानता है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 26, 2015 11:39 PM

यदि नेता और नौकरशाहों के लिए भी सरकारी स्कूल, अस्पताल और परिवहन आदि का इस्तेमाल जरूरी कर दिया जाये, तो निश्चित ही इनमें उल्लेखनीय सुधार होगा. मगर इस व्यवस्था में यह संभव नहीं है.

आज मानव महज पैसे के पीछे पागल है. वह लक्ष्मी का अंधभक्त है और उसी को ही सब कुछ मानता है. लक्ष्मी ही कलियुग में बड़ी है, क्योंकि इसके बिना निर्वाह भी नहीं है. हालांकि, सरस्वती से ही लक्ष्मी आती है और निस्वार्थ सेवा से ही आत्मिक सुख मिलता है.

मगर आज एक साधारण शिक्षक भी दिनरात ट्यूशन में इसलिए व्यस्त रहता है, ताकि वह भी अच्छे धन वैभव से देश और दुनिया के तमाम ऐश्वर्य का आनंद ले सके. इसीलिए तो वह बेचारा खुद अपने बच्चों को भी नहीं देख पाता है, क्योंकि वहां से तो कोई ट्यूशन फीस ही नहीं मिलती.

वेद, मामूरपुर, नरेला

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