शिक्षकों की हड़ताल को हल्के में न लें

अपना हक पाने के लिए पारा शिक्षकों को बार-बार हड़ताल करना पड़ रहा है. राज्य उनकी हड़ताल को हल्के में लेकर बार-बार उनकी मांग की अनदेखी कर देती है. लेकिन उसे यह समझ लेना चाहिए कि यदि स्कूलों में पारा शिक्षक हैं, तभी पढ़ाई भी हो रही है. यदि वे न रहें, तो पठन-पाठन का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 26, 2015 11:40 PM
अपना हक पाने के लिए पारा शिक्षकों को बार-बार हड़ताल करना पड़ रहा है. राज्य उनकी हड़ताल को हल्के में लेकर बार-बार उनकी मांग की अनदेखी कर देती है. लेकिन उसे यह समझ लेना चाहिए कि यदि स्कूलों में पारा शिक्षक हैं, तभी पढ़ाई भी हो रही है.
यदि वे न रहें, तो पठन-पाठन का कार्य भी ठप हो जायेगा. सवाल है कि आखिर ये ज्यादा मांग ही क्या रहे हैं? इस महंगाई के जमाने में एक मजदूर भी इनसे ज्यादा पैसे कमाते हैं. शिक्षण कार्य में अनुभव की भी महत्ता है.
इन शिक्षकों के पास सात सालों का अनुभव भी है. अगर हड़ताल लंबी खिंचती है तो अंतत: नुकसान छात्रों का ही होगा. सरकार इनकी बातें न मान कर अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रही है. इसलिए सरकार को संजीदगी से इनकी मांगों पर गौर करना चाहिए, ताकि छात्रों की पढ़ाई सुचारू रूप से चलती रहे.
दीपक कुमार, देवघर

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