बहाली प्रक्रिया में सुधार जरूरी
अनुज कुमार सिन्हा वरिष्ठ संपादक प्रभात खबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से 15 अगस्त को जूनियर पदों की सरकारी नौकरी के लिए इंटरव्यू खत्म करने और ऑनलाइन अंक पत्र के आधार पर बहाली करने की बात कही थी. उन्होंने सवाल किया था कि रेलवे की नौकरी के लिए नार्थ-इस्ट का कोई बेरोजगार क्यों […]
अनुज कुमार सिन्हा
वरिष्ठ संपादक
प्रभात खबर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से 15 अगस्त को जूनियर पदों की सरकारी नौकरी के लिए इंटरव्यू खत्म करने और ऑनलाइन अंक पत्र के आधार पर बहाली करने की बात कही थी.
उन्होंने सवाल किया था कि रेलवे की नौकरी के लिए नार्थ-इस्ट का कोई बेरोजगार क्यों हजार किमी की दूरी तय कर मुंबई में इंटरव्यू देने जायेगा. पांच मिनट के इंटरव्यू में विशेषज्ञ उसमें क्या देख लेंगे? मोदी की इस सलाह का अर्थ है. जूनियर पदों पर बहाली के लिए इंटरव्यू देने के लिए जो छात्र महानगरों में जाते हैं, इस पर बड़ा खर्च होता है. परेशानी अलग. फिर इंटरव्यू के नाम पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है. आपने लिखित परीक्षा में कितना भी बेहतर क्यों न किया हो, अगर इंटरव्यू लेनेवाले चाहें, तो आपको बाहर कर सकते हैं.
ऐसे सवाल करेंगे जिनका जवाब कोई दे ही नहीं पायेगा. इसका कोई रिकॉर्ड तो रखा नहीं जाता. जो मन में आया, पूछ दिया. अगर अपना आदमी है, नाम, पिता का नाम आदि पूछ लिया, बस हो गया इंटरव्यू. अगर छांटना हो तो सवाल पर सवाल. यह इंटरव्यू की बड़ी कमी है और इसी का फायदा उठा कर बड़े पैमाने पर पैरवी वालों को भर दिया जाता है. जिनकी पैरवी होती है, जिनके अपने लोग होते हैं, उन्हें मौका मिल जाता है. जिनकी नहीं होती, वे प्रतिभावान छात्र छांट दिये जाते हैं. इसलिए इसमें सुधार जरूरी है. वैसे भी जूनियर पदों के लिए इंटरव्यू का बहुत अर्थ नहीं होता. हां, जब सीनियर पदों के लिए बहाली हो, तो उसमें जरूर सारी प्रक्रियाओं को पूरा किया जाये.
मोदी के सुझाव को मानते हुए अगर बहाली की प्रक्रिया बदलती है, आसान बनायी जाती है, तो इससे छात्रों को परेशानी कम होगी. पारदर्शिता होने के कारण बेईमानी होने की आशंका कम रहेगी. जुगाड़ लगानेवाले तो कहीं भी जुगाड़ लगा लेंगे, लेकिन भ्रष्टाचार पर कुछ तो अंकुश लगेगा. कई और चीजों पर गौर करना होगा. सिर्फ इंटरव्यू खत्म करने से चीजें बेहतर नहीं हो जायेंगी. अभी कई नौकरियों में, कोर्स में, मैट्रिक से लेकर स्नातक तक का अंक देखा जाता है.
उस आधार पर भी बहाली होती है. देश के कई राज्यों में मैट्रिक की परीक्षा में जोरदार चोरी होती है और वहां के छात्र उच्च अंक लाते हैं. जो ईमानदारी से परीक्षा देते हैं, वे उसी राज्य में नौकरी पाने में पिछड़ जाते हैं. जब अंकों के आधार पर बहाली होती है, तो चोरी कर पास करनेवाले, अधिक अंक लानेवाले आगे निकल जाते हैं. यह गलत परंपरा है.
इतना ही नहीं, परीक्षा के बाद परीक्षार्थियों की कॉपियों की जैसे जांच की जाती है, उसमें त्रुटियां रहती हैं. सही मूल्यांकन नहीं होने से उन छात्रों को भी फेल कर दिया जाता है, जो टॉपर हो सकते हैं. ऐसे मामले तब सामने आते हैं, जब पुनर्मूल्यांकन होता है. शिक्षकों की एक गलती किसी छात्र का पूरा कैरियर खत्म कर देती है. एक बार किसी परीक्षा में किसी शिक्षक ने कम अंक दे दिया, तो जिंदगी भर वह छात्र उसका दुष्परिणाम भुगतता रहता है. उसे लेकर ढोते रहता है. वहीं उस शिक्षक का कुछ नहीं बिगड़ता.
ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि गलत करनेवाले शिक्षकों को कड़ा दंड नहीं मिलता. छात्रों की जिंदगी से खेलने का किसी शिक्षक को कोई अधिकार नहीं है. इसलिए यह आवश्यक है कि स्कूल स्तर (मैट्रिक) से ही कॉपियों की जांच पर नजर रखी जाये. एक-एक नंबर पर नामांकन होता है, नौकरी के लिए मेरिट लिस्ट बनती है. इसलिए इसमें किसी स्तर पर गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए.
हर छात्र के साथ न्याय हो. ऐसा तभी हो सकता है, जब शिक्षक योग्य हों. उनके पास ज्ञान हो. अनुभव हो. अभी हाल में एक राज्य में जब जांच हुई, तो ऐसे-ऐसे शिक्षक पकड़े गये, जो अपना नाम भी सही-सही नहीं लिख सकते थे. ऐसे शिक्षक क्या कॉपी जांचेंगे. अगर पैरवी के बल पर, राजनीतिक दबाव में अयोग्य शिक्षकों की बहाली होगी तो ऐसा ही होगा.
ये शिक्षक जब कॉपियों की जांच करेंगे, तो गड़बड़ी करेंगे ही. जिसकी कॉपी ये जांचेंगे, सही को गलत और गलत को सही करेंगे ही. नंबर देने में गड़बड़ी करेंगे और छात्रों का भविष्य खराब करेंगे. इसलिए देश में जब रोजगार देने की नीति बनती है, तो इन बिंदुओं पर गौर करना होगा. जूनियर पदों के लिए इंटरव्यू जरूर खत्म करें, लेकिन इसका भी ख्याल करें कि चोरी कर उच्च अंक लानेवालों को आजीवन उसका लाभ नहीं मिले. यह तभी हो सकता है, जब योग्यता के आधार पर पारदर्शिता के साथ परीक्षा हो, परिणाम निकले.
आज बड़ी संख्या में योग्य छात्र सड़कों पर घूम रहे हैं, उन्हें नौकरी नहीं मिलती है, जबकि पैरवी के बल पर अयोग्य छात्र नौकरी पा रहे हैं. इसी कुव्यवस्था को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री ने पहल की है.
अंक पत्र आधार जरूर बने, लेकिन मैट्रिक, इंटर या स्नातक का नहीं. जब बहाली होनी हो, ऑनलाइन परीक्षा ली जाये और तुरंत इसका परिणाम घोषित कर दिया जाये, ताकि पैरवी का वक्त नहीं मिले. सही तरीके से परीक्षा ली जाये, तो योग्य और सही व्यक्ति जरूर चुन कर आयेंगे.