एक महत्वपूर्ण संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ के जरिये सरल और स्पष्ट शब्दों में जनता से सीधे संवाद की प्रक्रि या में भूमि अधिग्रहण विधेयक को वापस लेने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर व्यापक सहमति नहीं बन सकी है. देश की लोकतांत्रिक राजनीति में प्रधानमंत्री की यह पहल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 31, 2015 8:15 AM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ के जरिये सरल और स्पष्ट शब्दों में जनता से सीधे संवाद की प्रक्रि या में भूमि अधिग्रहण विधेयक को वापस लेने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर व्यापक सहमति नहीं बन सकी है. देश की लोकतांत्रिक राजनीति में प्रधानमंत्री की यह पहल सराहनीय है.

अक्सर यह कहा जाता रहा है कि प्रचंड बहुमत के कारण केंद्र सरकार का रवैया अड़ियल है तथा उसमें आलोचनाओं और विरोध के प्रति सहिष्णुता का अभाव है. लेकिन इस विवादास्पद विधेयक को रद्द करना उन शंकाओं का निवारण करता है. प्रधानमंत्री ने संक्षेप में उन परिस्थितियों की भी चर्चा की जिनकी वजह से यह निर्णय लिया गया है और यह आश्वासन भी दिया कि सरकार इस मामले में सुझावों का स्वागत करेगी. उल्लेखनीय है कि उन्होंने जनता को संबोधित करते हुए यह महत्वपूर्ण घोषणा की.

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विकास परियोजनाओं को लागू करने में आनेवाली अड़चनों को दूर करने के लिए उनकी सरकार कृतसंकल्प है. ‘मन की बात’ संबोधन की खास बात यह भी है कि इसमें प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख के रूप में ही नहीं बोलते हैं, बल्कि सरकारी नीतियों और कार्यक्र मों में लोगों को सक्रियता से भागीदार बनाने का आह्वान भी करते हैं. वृहत समावेशी वित्तीय पहल जन-धन योजना में 17.74 लाख खातों के खुलने और उनमें 22 हजार करोड़ रु पये जमा होने की उपलब्धि का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अब इन खातों को चलाते रहने की जिम्मेवारी लोगों की है. इतने बड़े पैमाने पर निर्धनों को आर्थिक मुख्यधारा में लाने की यह विश्व की सबसे बड़ी योजना है. निश्चित रूप से नागरिकों में उत्तरदायित्व की भावना किसी भी सरकारी पहल की सफलता व उसके स्थायित्व की अनिवार्य शर्त है. अगर नागरिकों का रवैया नकारात्मक होगा और वे कार्यक्र मों को लेकर उदासीन रहेंगे, तो योजनाएं असफल ही होंगी.

जन्म के समय माताओं और शिशुओं की मृत्यु दर बहुत अधिक है. इस पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की बात कही. विकास के लिए शांति की जरूरत पर बल देते हुए मोदी ने महात्मा बुद्ध और सूफियों के संदेशों का उल्लेख भी किया. पूरे संबोधन में अंतर्निहित सकारात्मकता और संदेशों की सारगर्भिता उत्साह का संचरण भी करती हैं और चुनौतियों के प्रति गंभीर रु ख अपनाने का निवेदन भी करती हैं. भरोसे के साथ कहा जा सकता है कि ‘मन की बात’ देश को प्रगति के लिए प्रेरित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कड़ी है.

Next Article

Exit mobile version