व्यावसायिक शिक्षा पर जोर दिया जाये

भारत प्राचीन काल से ही शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी रहा है. यहां की शिक्षा प्रणाली देश-काल की उपयोगिता के अनुकूल थी, लेकिन शताब्दियों की पराधीनता ने इसे विकृत कर दिया है. विदेशी सरकारों ने स्वार्थ के लिए ऐसी शिक्षा प्रणाली को महत्व दिया, जो उनके शासन और अस्तित्व को बनाये रखने में सहायता प्रदान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 31, 2015 8:16 AM

भारत प्राचीन काल से ही शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी रहा है. यहां की शिक्षा प्रणाली देश-काल की उपयोगिता के अनुकूल थी, लेकिन शताब्दियों की पराधीनता ने इसे विकृत कर दिया है. विदेशी सरकारों ने स्वार्थ के लिए ऐसी शिक्षा प्रणाली को महत्व दिया, जो उनके शासन और अस्तित्व को बनाये रखने में सहायता प्रदान करे.

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी हमारी शिक्षा प्रणाली में कोई खास सुधार नहीं आया. हालांकि, समय-समय पर अनेक समितियों का गठन किया गया, आयोग बने, अनेक सुधारों की सिफारिशें की गयीं, लेकिन इन सबके बावजूद बुनियादी परिवर्तन नहीं हो सकता. हमारी शिक्षा प्रणाली का पाठ्यक्रम अत्यंत जटिल है. कोमल बुद्धिववाला बालक सात-आठ विषयों का अध्ययन करने में असमर्थ होता है. इससे उसकी बुद्धि का विकास रुक जाता है.

आज की परीक्षा प्रणाली भी दोषपूर्ण है. यह योग्यता का उचित मापदंड नहीं है. आज का शिक्षित युवक अपने जीवन का एक लंबा समय शिक्षा अजर्न करने में बिताने के बाद भी दर-दर की ठोकरें खाता है. इसके बाद भी उसे आजीविका का समुचित साधन और अवसर नहीं मिल पाता है. आज के छात्रों की शिक्षा उद्देश्यहीन होकर रह गयी है. वह बिना सोचे-समङो अपने माता-पिता की संतुष्टि के लिए पढ़ता चला जाता है, जो उसका भविष्य बनाने में कहीं कारगर साबित नहीं होता. अपनी हार का कारण खुद छात्र ही होता है. उसके हमेशा निराशा ही हाथ लगती है. आज ऐसी शिक्षा प्रणाली की जरूरत है, जो छात्रों के अनुकूल हो और उनकी क्षमता को देखकर दी जाये. इसके लिए हमारे देश में सही शिक्षक का चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण है. व्यावहारिक तथा व्यावसायिक शिक्षा पर बल दिया जाना चाहिए.

प्रदीप कुमार चौधरी, देवघर

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