आर्थिक आधार पर मिले आरक्षण
जाति के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए. क्योंकि ऐसी स्थिति में देश का एक बड़ा हिस्सा, जो आर्थिक रूप से कमजोर है पीछे छूट जा रहा है. इसलिए आर्थिक आधार पर आरक्षण देकर उन्हें विकास की धारा में लाने की जरूरत है. 65 वर्षो से चल रहे आरक्षण की व्यवस्था से समाज का […]
जाति के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए. क्योंकि ऐसी स्थिति में देश का एक बड़ा हिस्सा, जो आर्थिक रूप से कमजोर है पीछे छूट जा रहा है. इसलिए आर्थिक आधार पर आरक्षण देकर उन्हें विकास की धारा में लाने की जरूरत है.
65 वर्षो से चल रहे आरक्षण की व्यवस्था से समाज का विकास नहीं हुआ है. लेकिन, यह आधा सच है. उदाहरण के रूप में कई गांव हैं, जिन्हें जाति आधारित आरक्षण का लाभ मिला है. इससे उनकी आर्थिक व सामाजिक स्थिति में सुधार हुआ है. पर, इस व्यवस्था में उच्च वर्ग में आर्थिक रूप से कमजोर लोग पीछे रह गये हैं.
अभी गुजरात में आरक्षण के नाम पर राजनीति हो रही है. इससे किसी का भला नहीं हो सकता. गुजरात में आरक्षण की मांग को लेकर चल रहे विरोध का एक अलग पहलू भी है. वहां पटीदार अपने सामाजिक हक के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. पर, हिंसा किसी भी स्थिति में ठीक नहीं है. इससे अपना ही नुकसान है.
नृपेंद्र अभिषेक नृप, नयी दिल्ली