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आखिर कैसे सुधरेगा हमारा राज्य?
झारखंड के हालात बहुत ही विचित्र हो गये हैं. आम आदमी के लिए यह समझ पाना मुश्किल हो रहा है कि यह कौन सी राजनीति और अर्थनीति का सिद्धांत है, जिससे हमारे राज्य का उद्धार होगा. इस तरह के कई सवाल हैं, जो हम जैसे लोगों के दिलोदिमाग में घूम रहे हैं. इतना तो तय […]
झारखंड के हालात बहुत ही विचित्र हो गये हैं. आम आदमी के लिए यह समझ पाना मुश्किल हो रहा है कि यह कौन सी राजनीति और अर्थनीति का सिद्धांत है, जिससे हमारे राज्य का उद्धार होगा.
इस तरह के कई सवाल हैं, जो हम जैसे लोगों के दिलोदिमाग में घूम रहे हैं. इतना तो तय है कि हमारी अर्थव्यवस्था पूरी तरह बाजारवाद पर आश्रित है.
राजनीति की बात करें, तो उनका सत्तासीन होते या फिर विपक्ष में जाने पर ही सुर बदल जाता है. सत्ताधारी दल कुर्सी पाते मदांध हो जाता है, तो विपक्ष का एकमात्र लक्ष्य विरोध का प्रदर्शन ही रह जाता है. इन दोनों दलों के बीच आम आदमी का कहीं पता ही नहीं चलता.
बीते दो-तीन वर्षो में देश की राजनीति को देखें, तो पहले का विपक्ष आज सत्तासीन है और वह भी मदांध हो गया है. ऐसे में राज्य का विकास कैसे संभव है?
अभिषेक रंजन, मलकोको, हजारीबाग
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