जान गंवाते नौजवान

बीते साल देश में सड़क हादसों और इनमें जान गंवानेवालों, दोनों की संख्या में इजाफा हुआ है. भूतल परिवहन मंत्रलय की रिपोर्ट कहती है कि 2013 में देश में 4.86 लाख सड़क हादसे हुए, तो 2014 में 4.89 लाख. इनमें मरनेवालों की संख्या भी 2013 के मुकाबले 1.5 फीसदी बढ़ गयी है. रिपोर्ट में एक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 3, 2015 11:20 PM

बीते साल देश में सड़क हादसों और इनमें जान गंवानेवालों, दोनों की संख्या में इजाफा हुआ है. भूतल परिवहन मंत्रलय की रिपोर्ट कहती है कि 2013 में देश में 4.86 लाख सड़क हादसे हुए, तो 2014 में 4.89 लाख.

इनमें मरनेवालों की संख्या भी 2013 के मुकाबले 1.5 फीसदी बढ़ गयी है. रिपोर्ट में एक चौंकानेवाला तथ्य यह है कि 2014 में सड़क हादसों में जान गंवानेवालों में करीब 75000 यानी 54 फीसदी लोग 15 से 34 आयु-वर्ग के हैं.

यों तो पूरे विश्व में इसी आयु-वर्ग के लोग सड़क हादसों के सबसे ज्यादा शिकार होते हैं, पर सच यह भी है सड़क हादसों में किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत में सबसे ज्यादा लोग जान गंवाते हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में प्रति 1 लाख की आबादी पर सड़क दुर्घटना में मृत्यु की दर 2009 में 16.8 (व्यक्ति) थी, जो 2013 में बढ़ कर 18.9 हो गयी.

उच्च आयवाले देशों में यह दर भारत की तुलना में आधी (8.7 व्यक्ति प्रति लाख आबादी) है. सड़क दुर्घटना में मृत्यु के मामले में भारत का रिकार्ड इंडोनेशिया (17.7), पाकिस्तान (17.4), नेपाल (16), श्रीलंका (13.7) और बांग्लादेश (11.6) से भी बदतर है.

इस आंकड़ों के आधार पर सीधे-सीधे यह तो नहीं कह सकते कि स्टंट क्रेजी होने के कारण नौजवान ज्यादा संख्या में सड़क हादसों के शिकार हो रहे हैं, लेकिन कुछ अनुमान निश्चित तौर पर लगाये जा सकते हैं. जैसे यह कि सड़क दुर्घटनाओं के शिकार लोगों को त्वरित और जरूरी उपचार मुहैया कराने में भारत विश्व के विकसित देशों के मुकाबले बहुत पीछे है.

भारत में हादसों में जान गंवानेवाले लोगों में आधी से भी ज्यादा संख्या उन लोगों की है, जिन्हें समय से गुणवत्तापूर्ण उपचार मुहैया नहीं हो पाता.

दूसरे, नौजवानों के बीच वैसी जानकारियों के अनुपालन का अभाव है, जो भूतल परिवहन को चालक या यात्रियों के लिए सुरक्षाप्रद बनाता है.

तीसरी बात वाहनों की दशा से संबंधित है. मंत्रलय की रिपोर्ट संकेत करती है कि 1 से 6 साल पुराने वाहनों की तुलना में, 2 से 4 साल पुराने वाहनों से सड़क हादसे ज्यादा हुए हैं.

ऐसे में सड़कों पर नये वाहनों की लगातार बढ़ती संख्या के बरक्स सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना, त्वरित उपचार की सुविधाओं को बड़े पैमाने पर बहाल करना और परिवहन को सुरक्षाप्रद बनानेवाले उपायों का अनिवार्य तौर पर अनुपालन करवाना कुछ ऐसी बातें हैं, जिन पर ध्यान दिया जाये तो देश नौजवानों की एक बड़ी संख्या को काल-कवलित होने से बचा कर अपने अमूल्य मानव-संसाधन की रक्षा कर सकता है.

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