राष्ट्रपति ने पेश कीं मिसालें
जब प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बने थे, उसी समय उन्होंने लोगों से अपील की थी कि उन्हें ‘महामहिम’ ना कह कर ऐच्छिक तौर पर ‘महोदय’ कहा जाये. इसके साथ ही, उन्होंने इंटरनेट के जरिये लोगों से जुड़ने की बात कही. इससे उन्होंने जाहिर कर दिया था कि वह अपने पूर्ववर्तियों की तरह रायसीना हिल्स में ना […]
जब प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बने थे, उसी समय उन्होंने लोगों से अपील की थी कि उन्हें ‘महामहिम’ ना कह कर ऐच्छिक तौर पर ‘महोदय’ कहा जाये. इसके साथ ही, उन्होंने इंटरनेट के जरिये लोगों से जुड़ने की बात कही. इससे उन्होंने जाहिर कर दिया था कि वह अपने पूर्ववर्तियों की तरह रायसीना हिल्स में ना सिमट कर जनता से सीधा संपर्क स्थापित करना चाहते हैं.
राष्ट्रपति महोदय ने उन तमाम बड़े मामलों पर फैसले दिये, जिन पर फैसला लेने से उनके पूर्ववर्ती राष्ट्रपति कतराते रहे. उन्होंने अजमल आमिर कसाब और अफजल गुरु जैसे अपराधियों की फांसी का रास्ता साफ करके देश के दुश्मनों को एक बड़ा झटका दिया. ये दोनों ऐसे आतंकवादी थे, जिनकी फांसी का इंतजार देश अरसे से कर रहा था.
अभी हालिया घटनाक्रम में जब केंद्र सरकार एक अवैधानिक और अनैतिक अध्यादेश लेकर आयी, तो प्रणब मखर्जी ने उस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर सरकार को इसे वापस लेने पर मजबूर कर दिया. राष्ट्रपति के इस फैसले की सराहना ना सिर्फ जनमानस ने, बल्कि विपक्ष ने भी की. प्रणब मुखर्जी ने इस फैसले से संविधान पर आघात होने से बचाया और सरकार को भी यह संदेश मिल गया कि हर राष्ट्रपति रबर स्टांप नहीं होता.
नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे को लेकर जब जदयू-भाजपा में तकरार शुरू हो गयी, तो राष्ट्रपति ने एक बार फिर सूझ-बूझ और विनम्रता का परिचय देते हुए इस झगड़े को शांत किया और इस तरह एक बार फिर से वह जनता का दिल जीत ले गये. राष्ट्रपति के तौर पर प्रणब मुखर्जी द्वारा लिये गये फैसलों के लिए इनका कार्यकाल अगले राष्ट्रपतियों को उदाहरण के तौर पर लेना चाहिए.
आलोक रंजन, हजारीबाग