बेरोजगार पैदा करती है शिक्षा प्रणाली
आज भारत की प्रगति के सामने अनेक समस्याएं चट्टान की तरह रास्ता रोके खड़ी हैं. उनमें से एक प्रमुख समस्या बेरोजगारी है. महात्मा गांधी ने इसे समस्याओं की समस्या कहा था. बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण जनसंख्या विस्फोट है. इस देश में रोजगार देने की जितनी योजनाएं बनती हैं. जनसंख्या अधिक बढ़ने के कारण योजनाएं […]
आज भारत की प्रगति के सामने अनेक समस्याएं चट्टान की तरह रास्ता रोके खड़ी हैं. उनमें से एक प्रमुख समस्या बेरोजगारी है. महात्मा गांधी ने इसे समस्याओं की समस्या कहा था. बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण जनसंख्या विस्फोट है.
इस देश में रोजगार देने की जितनी योजनाएं बनती हैं. जनसंख्या अधिक बढ़ने के कारण योजनाएं बेकार हो जाती हैं. एक अनार सौ बीमारवाली कहावत यहां चरितार्थ होती है. बेरोजगारी का दूसरा कारण युवकों में बाबूगिरी की होड़ है. नवयुवक हाथ का काम करने में अपना अपमान समझते हैं.
विशेष कर पढ़े-लिखे युवक दफ्तरी जिंदगी पसंद करते हैं. इस कारण वे रोजगार कार्यालय की धूल फांकते रहते हैं. बेकारी का तीसरा बड़ा कारण दूषित शिक्षा प्रणाली है. हमारी शिक्षा प्रणाली नित नये बेरोजगार पैदा करती जा रही है. व्यावसायिक प्रशिक्षण का हमारी शिक्षा में अभाव है. चौथा कारण गलत योजनाएं हैं. सरकार को चाहिए की वह लघु उद्योगों को प्रोत्साहन दे. मशीनीकरण को उस सीमा तक बढ़ाया जाना चाहिए, जिससे रोजगार के अवसर कम न हो. इसीलिए गांधी जी ने मशीनों का विरोध किया था, क्योंकि एक मशीन कई कारीगरों के हाथ को बेकार बना डालती है.
जरा सोचिये, अगर साबुन बनाने का लाइसेंस बड़े उद्योगों को न दिया जाये, तो उससे लाखों युवकों को आजीविका का साधन मिलेगा. बेरोजगारी के दुष्परिणाम अतीव भयंकर हैं. खाली दिमाग शैतान का घर. बेरोजगार युवक कुछ भी गलत काम करने पर उतारू हो जाता है. वह शांति भंग करने में सबसे आगे होता है. शिक्षा का माहौल भी वही बिगाड़ते हैं, जिन्हें अपना भविष्य अंधकारमय लगता है. बेकारी का समाधान तभी हो सकता है, जब जनसंख्या पर रोक के साथ शिक्षा में सुधार हो.
मनीष बलियासे, देवघर