कोल्हान विवि में संताली पढ़ायी जाये
वैसे तो झारखंड में जनजातियों की संख्या सर्वाधिक है. उसमें भी संतालों की संख्या अन्य जनजातीय समुदायों में सबसे ज्यादा है. चाईबासा स्थित कोल्हान विश्वविद्यालय में संताली भाषा साहित्य की पढ़ाई होती है, पर संताली के लिए अलग विभाग का अभी तक गठन नहीं हो पाया है, जो दुर्भाग्य की बात है. कोल्हान विश्वविद्यालय के […]
वैसे तो झारखंड में जनजातियों की संख्या सर्वाधिक है. उसमें भी संतालों की संख्या अन्य जनजातीय समुदायों में सबसे ज्यादा है. चाईबासा स्थित कोल्हान विश्वविद्यालय में संताली भाषा साहित्य की पढ़ाई होती है, पर संताली के लिए अलग विभाग का अभी तक गठन नहीं हो पाया है, जो दुर्भाग्य की बात है. कोल्हान विश्वविद्यालय के तहत बहुत सारे ऐसे कॉलेज हैं, जो संताल बहुल इलाकों में हैं.
उन कॉलेजों में संताली भाषा की पढ़ाई होनी चाहिए, मगर होती नहीं है. जमशेदपुर के करणडीह स्थित लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल कॉलेज में संताली की पढ़ाई स्नातक स्तर तक ही हो रही है. यहां स्नातकोत्तर स्तर पर भी इस भाषा की पढ़ाई होनी चाहिए. राज्य सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन से आग्रह है कि कोल्हान विश्वविद्यालय में संताली भाषा की पढ़ाई की व्यवस्था करें.
-चंद्र मोहन किस्कू, पूर्वी सिंहभूम