अपराध बढ़ा रहे हैं टीवी कार्यक्रम
पिछले दिनों खबर आयी कि अमरेली की एक लड़की ने स्वीकार किया कि टीवी पर चलनेवाले एक क्राइम शो पर आधारित थी, जिससे प्रेरित होकर अपने भाई को खेल के बहाने आंख में पट्टी बांधी और उसके गले में चाकू चला कर उसकी हत्या कर दी. अब यह तर्क दिया जा रहा है कि ऐसा […]
पिछले दिनों खबर आयी कि अमरेली की एक लड़की ने स्वीकार किया कि टीवी पर चलनेवाले एक क्राइम शो पर आधारित थी, जिससे प्रेरित होकर अपने भाई को खेल के बहाने आंख में पट्टी बांधी और उसके गले में चाकू चला कर उसकी हत्या कर दी.
अब यह तर्क दिया जा रहा है कि ऐसा कोई भी वैज्ञानिक अध्ययन मौजूद नहीं है, जो सिद्ध करे कि हिंसा, सेक्स और अंधविश्वास से भरी मीडिया प्रस्तुतियों को देख-पढ़ कर लोग प्रेरित होते हैं. दरअसल, ज्ञान के दो रास्ते हैं. एक बाहरी ज्ञान, जो पढ़, सुन या देख कर अनुकरण किया जाता है. दूसरा, आंतरिक ज्ञान, जो स्वत: जानकारी होती है, जिसे लिख या बोल कर व्यक्त की जाती है.
दरअसल, मानव के अंदर छिपे हुए गुण और अवगुणों की खोज करना किसी भी वैज्ञानिक के वश में नहीं है. मानव के अंदर की खोज करना अध्यात्म के दायरे में आता है, जो कटु सत्य है.
– महाबीर साहु, ई-मेल से